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५२, वर्ष २८, कि०१
अनेकान्त
चंचल गति घरती चलि मन हरती,
कईक गोद घर पर बालक रोवति ताहि सुणावति है। चंचलती चलति भले ।। कईक चाव भरी अति चंचल अंचल पट दै झांकति है। इसके अतिरिक्त कवि ऋतु-वर्णन, नायिका-वर्णन,
तजि तजि कुल को कानि सब भई सुबुधि-बलहीन । माभूषण-वर्णन, महलों का वर्णन, घोड़ों का वर्णन, फूलों का
दोन भई पूछन लगी सखियन से जु प्रवीन 1६६ चित्रण, रथ-वर्णन, प्रभुको तेल चढ़ाना, वधू-गृहकी सजावट,
कईक सार सिंगार को केई काहू टेरि बुलावति है। बरात देखना, नृत्य, बाजो का वर्णन, पशुग्री का विलाप, केई मारग में सुकहै यह बात बरात इतही प्रावति है। राजुल का वियोग मावि को बड़े ही मार्मिक दृश्य छन्दो मे सुकटि के भूषन गलि में सुधरै पग पंजनि सीस चढ़ावति है अंकित कर सका है।
इस तरह कवि छुनकलाल जी ने 'नेमि व्याहलो' एक नेमि प्रभु की बारात देखने के लिए आतुर नारियो अति ही आकर्षक रचना रची जिसे हम अविरल रूप से की मनोदशा का चित्रण कवि ने निम्न छन्दो में बड़े ही पाठकों के मनोरंजनार्थ एवं ज्ञान वर्धन हेतु यहाँ प्रस्तुत कर आकर्षक ढंग से किया है।
रहे है । कृपालु पाठको से निवेदन है कि कवि और उसकी बौरी सौ दौरी फिरै सुभरी सुन्दर गात,
कृति के सम्बन्ध मे किसी को कुछ और अधिक जानकारी गोरी मनमोहन अधिक सुचंचल चालि सुहाति । ६२॥ प्राप्त हो तो लेखक को सूचित कर अनुगृहीत करें।
६८, कुन्तो मार्ग, विश्वास नगर,
शाहदरा, दिल्ली-३२
उभावनाएं _ विनोदप्रियता, क्षमाशीलता तथा सहनशीलता की जननी होनी चाहिए। इनके बिना विनोदप्रियता निरर्थक हो जायेगी।
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सांसारिक दृष्टि से धनिक होना एक बहुत बड़ा गुण है । परन्तु यदि किसी से पूछा जाये तो यही कहेगा कि मात्र धनिक व्यक्ति से, जिसके पास और कोई गुण नही ; वह व्यक्ति अच्छा है जो निर्धन होते हुए भी अन्य गुणों से सम्पन्न है। लोक व्यवहार में फिर भी मान्यता मात्र धन होने से ही मिलती है । कहने और करने में यह कितना बड़ा अन्तर है ?
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लगता है ये मन्दिर नहीं, कब्रिस्तान हैं। वहां भी हर कब्र पर किसी मुर्दे का नाम लिखा होता है। यहाँ भी हर दीवार पर किसी का नाम लिखा जाने लगा है।
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मन की दृढ़ता ही सब शक्तियों का स्रोत मालूम होती है । मन की दृढ़ता के बिना कोई भा पौरुष दृढता से प्रगति नहीं कर सकता, और शक्ति का संचय भी नहीं हो सकता। मन की दृढ़ता वाला व्यक्ति चाहे डाक की शक्ति का संचय करे या तपस्वी की शक्ति का । कमजोर मन का व्यक्ति सब तरफ ही कमजोर रहेगा।
-श्रो महेन्द्रसेन जैन,