Book Title: Anekant 1975 Book 28 Ank Visheshank
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 105
________________ १००, वर्ष २८, कि० १ प्रनेकान्त दिया है और लिखा है कि "मुख ही वास्तव में मनुष्य the key to a knowledge of your client's natur ral refinement." जिनसेनाचार्य ने लिखा है कि फल-प्रतिपादन के लिये श्री प्रोझा ने भविष्यपुराण का यह मत उद्धृत किया मनष्य के मान. जन्मान शरीर की ऊँचाई) स्वर हेद है कि छीदी अंगुलियों वाले दरिद्री होते है तथा सघन गति, वंश, उत्तम वर्ण और प्रकृति पर अवश्य विचार अगुलियों वाले संपन्न । करना चाहिए। अन्य ग्रन्थों में भी शरीर की ऊंचाई, कलापूर्ण हथेली और नख-जिनसेनाचार्य के मता. 'चाल और हसित प्रादि पर विचार किया गया है। नुसार जिनकी कलाई अत्यन्त गढ़ एवं सुश्लिष्ट संधियों से ' हाथ-हाथों की बनावट के अनुसार भी हस्तरेखा युक्त हाता है, वे राजा हात है किन्तु ढौली मार सशब्द विशारद फल-प्रतिपादन करते हैं। जिनसेनाचार्य के अनु कलाई वाले दरिद्री होते है। गहरी तथा भीतर को दबी 'सार "राजाओं के हाथ स्थल, सम, लम्बे और हाथी की हथेली वाले नपुसक तथा पिता के धन से रहित तथा सूड के समान होते हैं। परन्तु निर्धन मनुष्यों के हाथ गहरी व भरी हथेली वाले धनी होते है। घनी लोगों की 'छोटे और रोमों से युक्त रहते है। दीर्घायु मनुष्यों की हथेली लाख के समान लाल होती है। इसके विपरीत 'अंगुलियां लम्बी तथा अत्यन्त कोमल होती हैं। निर्घन पीली हथेली वालं अगम्यगामी और रुक्ष हथेली से युक्त मनुष्यों की बलरहित और बुद्धिमान मनुष्यों की छोटी व्यक्ति सौन्दर्यरहित होता है। उठी हुई हथेली वाला छोटी होती हैं। निर्धन मनुष्यों के हाथ स्थूल रहते है, दानी होता है। जिसके नाखून तुष के समान हो, वे नपुसक, 'सेवकों के हाथ चिपटे होते हैं वानरों के समान हाथ वाले फटे नाखून वाला निर्धन, लाल नाखून वाले सेनापति मनुष्य धनाढ्य होते हैं और व्याघ्र के समान हाथ वाले और भद्दे नाखून वाले व्यर्थ का तर्क-वितर्क करते हैं। मनुष्य शूरवीर होते है ।" इसी प्रकार कलाई से लेकर हाथ तक तीन रेखामों वाले करलक्षण' के अनुसार जिस व्यक्ति की अंगलियों के राजा हात है। पर्व मांसल हों, वह धनवान और सदा सुखी होता है। 'करलक्खण' मे भी लिखा है किइसके विपरीत अंगुलियों वाला दरिद्री होता है। तिप्प रिरिक्ता पयडा जवमाला होइ जस्स मणिबंधो। हस्तरेखा विशेषज्ञों ने हाथों को वर्गाकार (सर्वप्रथम सो होइ घणाहण्णो खत्तिय पुण पत्थिवो होई॥ कोटि का) फैला हुआ हाथ (क्रियाशील व्यक्तित्व) नुकीला (जिसके मणिबंध में यवमाला की तीन धाराएं हों, . वह धन से परिपूर्ण होता है और यदि वह क्षत्रिय हो तो हाथ (कलाकार), लंबा, पतला हाथ (शातिप्रिय) तथा १९ मोटी त्वचा छोटी अंगुलियों वाला हाथ (सबसे निकृष्ट राजा बनता है।) ' हाथ) प्रादि सात वर्गों में हाथ को बांटा है। श्री ओझा ने 'विवेकविलास' का संदर्भ देते हुए लिखा है कि जिसकी हथेली का मध्य भाग नीचा होता है, वह ' कीरो (Chiero) का दावा है, "The difference धनी होता है और ऊंचा-नीचा होने से निधन होता है। in the shape of the hands of the French and मणिबंध की तीन रेखायों के विषय में श्री ओझा ने German or the French and English races would सामुद्र तिलक का यह मत व्यक्त किया है कि जिसकी तीन convince any thinking person that temperament प्रखडित रेखाए हों, वह धन, सुवर्ण एवं रत्न का स्वामी and disposition are indeed largely indicated होता है। by the shape of the hand itseif." कीरो ने लबे, छोटे तथा चपटे नाखूनों के अनुसार बेन्हम का मत है, "This quality of texture क्रमशः फेफड़ों और छाती, हृदय की बीमारी तथा लकवे की will aid you in estimating character, for it iभावना जताई sa postening influence on all the coarser बीमारी की अवस्था बताया है। qualities seen in any subject." Texture is [शेष पृ० १०३ पर]

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