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वीर-सेवा-मन्दिर के उपयोगी प्रकाशन R.N. 10591/62
___सभी ग्रन्य पौने मूल्य में (१) पुरातन-जनवाक्य-सूची-प्राकृत के प्राचीन ४६ मूल-ग्रन्थों की पद्यानुक्रमणी, जिसके साथ ४८ टीकादिग्रन्थो मे
उद्धृत दूसरे पद्यों की भी अनुक्रमणी लगी हुई है। सब मिलाकर २५३५३ पद्य-चाक्यों की सूची। संपादक मुख्तार श्री जुगलकिशोर जी की गवेषणापूर्ण महत्व की ७० पृष्ठ की प्रस्तावना से अलंकृत, डा. कालीदास नाग, एम. ए. डी. लिट् के प्राक्कथन (Foreword) और डा. ए. एन. उपाध्ये एम. ए. डी.लिट की भूमिका
(Introduction) से भूषित है, शोष-खोज के विद्वानो के लिए प्रतीव उपयोगी, बड़ा साइज, सजिल्द १५) (२) प्राप्त परीक्षा-श्री विद्यानन्दाचार्य की स्वोपज्ञ सटीक अपूर्व कृति,प्राप्तों की परीक्षा द्वारा ईश्वर-विषयक
सुन्दर, विवेचन को लिए हुए, न्यायाचार्य पं दरबारीलालजी के हिन्दी अनुवाद से युक्त, सजिल्द। ८) (३) स्वयम्भूस्तोत्र-समन्तभद्रभारती का अपूर्व ग्रन्थ, मुख्तार श्री जुगलकिशोरजी के हिन्दी अनुवाद, तथा महत्व की गवेषणापूर्ण प्रस्तावना से सुशोभित ।।
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२) (४) स्तुतिविद्या-स्वामी समन्तभद्र की अनोखी कृति, पापों के जीतने की कला, सटीक, सानुवाद और श्री जुगलकिशोर मुख्तार की महत्व की प्रस्तावनादि से अलंकृत सुन्दर जिल्द-सहित ।
१) (५) अध्यात्मकमलमार्तण्ड-पचाध्यायीकार कवि राजमल की सुन्दर प्राध्यात्मिकरचना, हिन्दी-अनुवाद-सहित १॥) (६) युक्त्यनुशासन-तत्वज्ञान से परिपूर्ण समन्तभद्र की असाधारण कृति, जिसका अभी तक हिन्दी अनुवाद नही
हुमा था। मुख्तार श्री के हिन्दी अनुवाद और प्रस्तावनादि से अलंकृत, सजिल्द। ... ॥) (७) श्रीपुरपाश्वनाथस्तोत्र-प्राचार्य विद्यानन्द रचित, महत्व की स्तुति, हिन्दी अनुवादादि सहित । )
शासनचतुस्चिशिका-(तीर्थपरिचय) मुनि मदनकीति की १३वीं शताब्दी की रचना, हिन्दी-अनुवाद सहित ) समीचीन धर्मशास्त्र-स्वामी समन्तभद्र का गृहस्थाचार-विषयक प्रत्युत्तम प्राचीन ग्रन्थ, मुख्तार श्रीजुगलकिशोर
जी के विवेचनात्मक हिन्दी भाष्य और गवेपणात्मक प्रस्तावना से युक्त, सजिल्द। ... ३) (१०) जैनग्रन्थ-प्रशस्ति संग्रह भा० १ सस्कृत और प्राकृत के १७१ अप्रकाशित ग्रन्थों की प्रशस्तियों का मंगलाचरण
सहित अपूर्व सग्रह उपयोगी ११ परिशिष्टो की और पं० परमानन्द शास्त्री की इतिहास-विषयक साहित्य
परिचयात्मक प्रस्तावना से अलकृत, सजिल्द । (११) समाधितन्त्र और इष्टोपदेश-अध्यात्मकृति परमानन्द शास्त्री की हिन्दी टीका सहित
मूल्य ४) (१२) प्रनित्यभावना-प्रा० पद्मनन्दी की महत्व की रचना, मुख्तार श्री के हिन्दी पद्यानुवाद और भावार्थ सहित ।) (१३) तत्वार्थसूत्र-(प्रभाचन्द्रीय)-मुख्तार श्री के हिन्दी अनुवाद तथा पास्या से पुक्त । (१४) श्रवणबेलगोल और दक्षिण के अन्य जनतीर्थ । (१५) महावीर का सर्वोदय तीर्थ B), (५) समन्तभद्र विचार-दीपिका ॥), (६) महावीर पूजा (१६) बाहुबली पूजा-जुगलकिशोर मुख्तार कृत (१७) अध्यात्म रहस्य-पं पाशाधर की सुन्दर कृति मुख्तार जी के हिन्दी अनुवाद सहित । (१८) जैनग्रन्थ-प्रशस्ति सग्रह भा २ अपभ्रश के १२२ अप्रकाशित ग्रन्थोंकी प्रशस्तियो का महत्वपूर्ण संग्रह । ५५
ग्रन्थकारों के ऐतिहासिक ग्रंथ-परिचय और परिशिष्टो सहित । स.५० परमान्द शास्त्री । सजिल्द १२) (१६) जैन साहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश, पृष्ठ सख्या ७४० सजिन्द (वीर शासन-संघ प्रकाशन ५) (२०) कसायपाहुड सुत्त--मूलग्रन्थ की रचना माज से दो हजार वर्ष पूर्व श्री गुणवराचार्य ने की, जिस पर श्री
यतिवृषभाचार्य ने पन्द्रह सौ वर्ष पूर्व छह हजार श्लोक प्रमाण चूणिसूत्र लिखे, सम्पादक प हीरालालजी सिद्धान्त शास्त्री, उपयोगी परिशिष्टो और हिन्दी अनुवाद के साथ बड़े साइज के १.०० से भी अधिक पृष्ठो में। पुष्ट कागज और कपड़ की पक्की जिल्द ।
... २०) (२१) Reality मा. पूज्यपाद की सर्वार्थसिद्धि का अग्रेजी में अनुवाद बड़े प्राकार के ३०० पृष्ठ पक्की जिल्द मू०६) प्रकाशक-प्रेमचन्द जैन, बीरसेवा मन्दिर के लिए, पवाणी प्रिंटिंग हाउस, दरियागंज, दिल्ली मुद्रित।