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विषय-सूची
अनेकान्त को सहायता क्रमांक विषय
पृष्ठ १. सिद्ध-स्तुति-मुनि पद्मनन्दि
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११) बाबू जयप्रकाश जी जैनीलाल जी जैन २. बुद्धघोप और स्याद्वाद-डा. भागचन्द जी
स्वस्तिक मेटल वर्म जगाधरी (अम्बाला) द्वारा विवाहोपएम. ए. पी-एच डी.
लक्ष मे निकाले हुए दान मे से ग्यारह रुपये अनेकान्त को सूत्रधार मण्डन विरचित रूपमण्डन मे जैन
भी सधन्यवाद प्राप्त हुए हैं।। मूर्ति लक्षण-अगरचन्द नाहटा २६४ । १०) मुख्तार श्री जुगलकिशोर जी ने अपनी ६०वे ४. क्या द्रव्य सग्रह के कर्ता व टीकाकार सम- जन्म-जयन्ती के अवसर पर निकाले हुए दान मे मे दस
कालीन नही है ?-परमानन्द जैन शास्त्री २६६ रुपया अनेकान्त को सधन्यवाद भेट किये है। ५. श्री शिरपुर पार्श्वनाथ स्वामी विनति
व्यवस्थापक 'अनेकान्त' नेमचन्द्र धन्नूसा जैन
वीरसेवा मन्दिर, २१ दरियागज दिल्ली मेवाड़ के पुरग्राम की एक प्रशस्तिरामवल्लभ सोमानी
३०३ शिक्षा का उद्देश्य-प्राचार्य तुलसी जैन और वैदिक अनुश्रुतियो में ऋषभ तथा भरत की भवावलि-डा० नरेन्द्र विद्यार्थी एम. ए.,
जिनवाणी के भक्तों से पी-एच. डी.
३०९ १. एक उपदेशी पद-कविवर द्यानतराय
वीरसेवामन्दिर का पुस्तकालय अनुसन्धान से सम्बन्ध १०. रामचरित का एक तुलनात्मक अध्ययन
रखता है। अनेक शोधक विद्वान अपनी थीसिस के लिये मुनि श्री विद्यानन्द जी
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उपयुक्त मैटर यहा से संगृहीत करके ले जाते है। सचा११. सर्वार्थसिद्धि और तत्त्वार्थवार्तिक पर षट
लक गण चाहते है कि वीरसेवामन्दिर की लायब्ररी को खण्डागम का प्रभाव-बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री ३२०
और भी उपयोगी बनाया जाय तथा मुद्रित और प्रमुद्रित १२. अग्रवालों का जैन मस्कृति में योगदान
शास्त्रो का अच्छा संग्रह किया जाय । अतः जिनवाणी के -परमानन्द शास्त्री
३२६ प्रेमियों से हमारा नम्र निवेदन है कि वे वीरसेवामन्दिर १३. कुछ पुरानी पहेलिया-डा. विद्याधर
लायब्रेरी को उच्चकोटि के महत्वपूर्ण प्रकाशित एवं हस्तजोहरा पुरकर
लिखित ग्रन्थ भेट भेज कर तथा भिजवा कर अनुगृहीत १४. मुख्तार श्री जुगलकिशोर जी का १०वां करे। यह सस्था पुरातत्त्व और अनुसन्धान के लिए प्रसिद्ध है। जन्म-जयन्ती उत्सव-परमानन्द शास्त्री ३३३
-व्यवस्थापक अनेकान्त शोधकण-चपावती नगरी-नेमचन्द धन्नूसा ३३४ अभयचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्तीकृत सस्कृत
वीर सेवा मन्दिर २१ दरियागंज, दिल्ली। कर्मप्रकृति-डा. गोकुलचन्द्र जैन
प्राचार्य एम.ए. पी-एच. डी. १७ साहित्य-समीक्षा-परमानन्द शास्त्री २३७
अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया
एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ पै० सम्पादक-मण्डल डा० प्रा० ने० उपाध्ये
अनेकान्त में प्रकाशित विचारो के लिए सम्पादक डा० प्रेमसागर जैन
मण्डल उत्तरदायी नहीं हैं। श्री यशपाल जैन
व्यवस्थापक प्रनेकान्त
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