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सूत्रधार मण्डन बिरचित 'स्पडन' में न तिसक्षम
सुलूम
नेमि
महास
श्रेयांस मण्डक' यक्षेट्र मानवी १४ अनन्त
पुरुषोत्तम् वासुपूज्य महिष कुमार
चण्डी
१५ धर्म दधिपणं पुण्डरीक विमल कर षण्मुख विदिता १६ शांति नन्दिवृक्ष पुरुषतत् अनन्त __ श्येन पाताल मकुक्षी
तिलक तरू कुम्तुल धर्म वच किन्नर कंदी १८ पर ध्यत
गोविन्द राजा शाति मृग
गरुड़
निर्वाणी १६ मल्लि अशोक छाग गन्धर्व
बाला २० मुनिसुव्रत चम्पक अजित पर नन्द्यावर्त यक्षेट्३ धारीणी २१ नमि बकुल विजय राय मल्लि घटकुबेर धरणाप्रिया २२
महावेणु उग्रसेन मुनिमुव्रत कूर्म वरुण नादरक्ता २३ पावं
देवदार
प्रजितराय नमि नीलोत्पल भृकुटि । गध४ २४ महावीर शाल श्रेणिक नेमि शक गोमेध अम्बिका पाश्र्व फणी पाव५ पद्मावति
सूत्रधार मण्डन ने (जिन मूर्ति प्रकरण) में श्वेताम्बर महावीर सिंह मातङ्ग सिद्धायिका
सम्प्रदाय की परम्परामों को ही मान्यता दी है। तीर्थकर
मूतिविधान पर दिगम्बर और श्वेताम्बर सम्प्रदायगत तालिका संख्या ३१
परम्परामों की भिन्नता का प्रभाव है। दिगम्बर सम्प्रदाय सख्या तीर्थकर केवलवृक्ष चामरधारी या धागेणी के अनुसार मुविध, शीतल और अनन्त का लांछन या १ वृषभ न्यग्रोध भरन और बा. ध्वज क्रमश. वृश्चिक, अश्वत्थ और कृक्ष है। इसी प्रकार २ अजित मातपणं सगर चक्री
सुपावं, थेयास, वासु पुज्य, विमन, अनन्त, धर्म, शाति, ३ मम्भव शाल सत्य वीर्य
कुष, मल्लि और नेमिनाथ की यक्षणिया भी क्रमशः काली, ४ अभिनन्दन पियाल
गौरी, गाधारी, रोटी, अनन्तमती, मानसी, महामानसी, ५ मुमनि पियाग मित्रवीर्य
विजया, ब्रह्मरूपिणी, चामुण्डी और कुष्माण्डिनी है। ६ पद्मप्रभ छत्राभ यमदूती
श्रेयाम और शानि के यक्ष भी दिगम्बर सम्प्रदाय के मत ७ सुपावं शिरिख धर्मवीयं
से यक्षेट् पौर गमड न होकर क्रमश ईश्वर और कि ८ चन्द्रप्रभ नागकेशर दानवीर्य
पुरुष है। सुविध नाम या मल्लि मधवत् राजा
__'रूपमण्डन' (४) में जिनों के वर्गों का विवरण १. शीतल विल्व
राजसिहारि ११
मपूर्ण और मदिग्ध है। 'अपगजित पृच्छा' (२२११५-७) तुम्बर राजा त्रिपिष्ट
मे भी जिनों का वर्ण-विवरण मदोष ही है। वासुपूज्य पाटनिक
दिरपिष्ट १३ विमल जम्बु स्वयम्भू
शासन देवता१. 'अपरा. में गहक पाठ गडे के लिए है। 'रूपमण्डन' कुछ विशिष्ट शासन-देवनामों का वर्णन 'रूपमण्डन
(६३) का पाठ खगीश है जो अशुद्ध है। में पृथक रूप से भी दिया गया है। इनके-वाहन, वर्ण, २. अन्य ग्रन्यो के अनुसार ईश्वर है।
मायुध मादि का विवरण तालिका ३२ से ज्ञातव्य है। ३. अन्य ग्रन्थों के अनुसार क्षेन्द्र या यक्षेन्द्र है। तालिका-मस्या ३३ में जिनके पाट प्रतिहारी (इम, इना. ४. अपरा० का पाठ गाधारी है ।
जय माहेन्द्र, विजय धरणेन्द्र, पाक सुनाम, सुरदुन्दुभि) ५. इनका नाम वामन अथवा बरणेन्द्र भी है।
तथा उनके पायुधों को स्पष्ट किया गया है।
श्रेयाम