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१३. जरूरत है आत्ममंथन की
स्वतन्त्रता की सीमा
व्यक्तिगत स्वतन्त्रता और व्यक्तिगत संवैधानिक अधिकार- इन दोनों शब्दों के बीच झूल रहा है असंख्य लोगों का भविष्य । गर्भपात एक उदाहरण है । उसके समर्थन और विरोध में अनेक आंदोलन काम कर रहे हैं । उसके समर्थक महिला की व्यक्तिगत स्वतन्त्रता और उसके व्यक्तिगत संवैधानिक अधिकार की दुहाई देते हैं और गर्भपात निरोध के कानून को उचित नहीं मानते । अभी-अभी अमरीकी उच्चतम न्यायालय ने गर्भपात के विरोध में जो निर्णय दिया, वह अमेरिका के महिला मुक्ति आंदोलन की दृष्टि में व्यक्तिगत स्वतन्त्रता और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है । क्या यह दृष्टिकोण स्वतन्त्रता के प्रति एक प्रश्नचिह्न पैदा नहीं करता ? क्या स्वतंत्रता निरपेक्ष है ? क्या वह असीम है? यदि है तो वह इस दुनिया की चीज नहीं है । यदि नहीं है तो हमें उसकी अपेक्षा
और सीमा का बोध करना होगा । अजन्मे शिशु की हत्या करने को क्या व्यक्तिगत स्वतन्त्रता कहा जा सकता है ? क्या उसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जा सकता है ? एक मनुष्य दूसरे मनुष्य की हत्या करने के लिए स्वतन्त्र नहीं है फिर वह जन्म हुआ हो या अजन्मा । इसलिए स्वतन्त्रता की सीमा पर पुनर्विचार करने की जरूरत है ।
संदर्भ : रासायनिक ऊर्वरक का प्रयोग
दूसरा उदाहरण है रासायनिक ऊर्वरक का प्रयोग | हर व्यक्ति उपज बढ़ाना चाहता है । आबादी बढ़ रही है, खपत भी बढ़ रही है । बढ़ती हुई आबादी
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