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निद्रा, अनिद्रा और अतिनिद्रा १५७
जब तक इनको पूरी तरह न समझ लें, पुस्तक पढ़कर ये उपाय न करें । क्योंकि गर्मी में दर्शनकेन्द्र पर हरे या लाल-पीले रंग का ध्यान कर लेते हैं तो गर्मी इतनी बढ़ जाएगी कि सिर फटने लग जायेगा । अगर तैजसकेन्द्र पर बल सूर्य का, अग्नि का ध्यान कर लेते हैं और ऊपर के केन्द्र पर नहीं करते हैं तो मन की चंचलता बड़ी भयंकर बन जाती है । इसलिए पूरी बात को गुरुगम से समझ कर ही प्रयोग करना लाभप्रद बनता है ।।
नींद पर ध्यान देना स्वास्थ्य की दृष्टि से भी जरूरी है और साधना की दृष्टि से भी जरूरी है | अतिनिद्रा और अनिद्रा-इन दोनों से बचकर सहज स्वाभाविक, स्वस्थ निद्रा की स्थिति में अगर व्यक्ति चला जाए तो मन प्रसन्न रह सकता है और मस्तिष्क हल्का रह सकता है, वह साधना की दृष्टि से भी बहुत विकास कर सकता है ।
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