Book Title: Amantran Arogya ko
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh
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२१४ आमंत्रण आरोग्य को
सधा ? कुछ लोग कहते हैं—एक लेबोरेट्री-प्रयोगशाला होनी चाहिए, जिससे मापा जा सके कि ध्यान लगा या नहीं लगा ? लेबोरेट्री में यंत्र यह परख सकता है कि त्वचा की प्रतिरोधक शक्ति कितनी कम हो गई ? रक्तचाप कहां तक चला गया ? हार्ट की धड़कन किस स्थिति में चल रही है ? यंत्र इन सब बातों को माप लेगा | E.C.G. का प्रयोग करेंगे तो हृदय और मस्तिष्क की गतिविधियों का पता भी लग जाएगा । किन्तु राग कम हुआ या नहीं ? द्वेष कम हुआ या नहीं ? इसका पता नहीं चल पाएगा । आज तक कोई ऐसा यंत्र नहीं बना है, जो इसका पता लगा सके । व्यक्ति स्वयं ही इसका पता लगा सकता है। यदि ध्यान केन्द्र के पास एक यांत्रिक प्रयोगशाला बने तो साथ-साथ ध्यान करने वाले व्यक्ति को अपने भीतर भी एक प्रयोगशाला का निर्माण कर लेना चाहिए। ध्यान करने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर एक प्रयोगशाला स्थापित करे तो यह पता चल सकता है—ध्यान लगा या नहीं लगा ।
स्वास्थ्य का सर्वोत्तम,सूत्र
जहां स्वास्थ्य का प्रश्न है वहां स्वास्थ्य-शास्त्र और अध्यात्म-शास्त्र-दोनों एक बिन्दु पर पहुंच जाते हैं | हम दोनों दृष्टियों से विचार करें । धर्म में आस्था है तो धर्म की दृष्टि से विचार करें । स्वास्थ्य की आकांक्षा है तो स्वास्थ्य की दृष्टि से विचार करें । जिस व्यक्ति को मन की दृष्टि से स्वस्थ रहना है, उसे कषायों को शान्त करना ही होगा । मानसिक स्वास्थ्य का एक सूत्र है—कषायों का अल्पीकरण, राग-द्वेष का अल्पीकरण । इससे बड़ा मानसिक स्वास्थ्य का सूत्र कोई भी चिकित्सा विज्ञान दे नहीं सकता । यह सूत्र ध्यान के द्वारा उपलब्ध होता है, इसीलिए ध्यान की साधना एक बहुत बड़ी साधना बन जाती है, मन को स्वस्थ, नीरोग, अरोग और प्रफुल्लित बनाए रखने वाली महान साधना बन जाती है।
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