________________
३७. क्या मानसिक स्वास्थ्य चाहते हैं ?
प्रत्येक मनुष्य स्वस्थ जीवन जीना चाहता है । बीमार या रुग्ण होना कोई नहीं चाहता । रोग को बड़ा कष्ट और संकट माना गया है । रोग हो जाए तो कोई रोगी बना रहना नहीं चाहता, इसीलिए व्यक्ति चिकित्सा की शरण में जाता है, डॉक्टर की शरण में जाता है । जितना ध्यान शारीरिक स्वास्थ्य पर दिया गया है उतना मानसिक स्वास्थ्य पर नहीं दिया गया और जितना ध्यान मानसिक स्वास्थ्य पर दिया गया है, उतना ध्यान भावात्मक स्वास्थ्य पर नहीं दिया गया ।
मूल कारण है भाव
बीमारी का मूल कारण है भाव । भावनात्मक बीमारियां पैदा होती हैं तो मन की बीमारियां पैदा होती हैं । मन की बीमारियां पैदा होती हैं तो तन की बीमारियां पैदा होती हैं । ऐसा नहीं है कि सारी बीमारियां भाव या भावना से ही आती हैं । कुछ बीमारियां शारीरिक भी होती हैं, पर बहुत सारी बड़ी बीमारियां भीतर से आती हैं, भावना से आती हैं। वे भावना से मन पर उतरती हैं, मन से तन पर उतरती है । हमारा ध्यान वहां नहीं जाता । शरीर के चिकित्सकों ने इस बात पर ध्यान दिया कि बीमारी का मूल कारण शरीर है, जर्स हैं, वायरस हैं या वात-पित्त और कफ हैं । आयुर्वेद के आचार्यों ने वात, पित्त और कफ पर ध्यान दिया । आज के डॉक्टर वायरस और जर्स पर ध्यान देते हैं । भावनात्मक बीमारियों पर ध्यान सहज नहीं जा पाता है । धर्म के आचार्यों ने, अध्यात्म के आचार्यों ने इस बात पर ध्यान दिया-जब तक भावना पवित्र नहीं है, विशुद्ध नहीं है, तब तक ये बीमारियां पैदा होती रहेंगी । उन्होंने कहा-भावना का परिष्कार करो । भावना का परिष्कार, मन का परिष्कार और शरीर का परिष्कार
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org