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क्या मानसिक स्वास्थ्य चाहते हैं ? १७३
साफ बात है कि क्रोध यदि आता है तो मन बिगड़ता रहेगा, उलझता रहेगा। जो व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य चाहता है उसे क्रोध को शान्त रखना जरूरी है। क्रोध इसलिए आता है कि आदमी सोचता नहीं है । यदि व्यक्ति थोड़ा गंभीर चिन्तन करे तो क्रोध आने का प्रसंग भी कम हो जाए ।
हिन्दुस्तान के बादशाह ने अपने वजीर को किसी बात पर मंत्रणा करने के लिए चीन के बादशाह के पास भेजा । वह वहां पहुंचा | बातचीत की। चीन के बादशाह ने एक अजीब-सा प्रश्न पूछ लिया—'वजीर ! बताओ, तुम्हारे बादशाह और मैं इन दोनों में बड़ा कौन है ?' बड़ा टेढा प्रश्न था । अपने बादशाह को छोटा कैसे बताए और जिसका अतिथि बना हुआ है, उसे भी छोटा कैसे बताए । वजीर बड़ा बुद्धिमान था । वह बोला—'हुजूर ! इसमें बताने की क्या बात है ? आप स्वयं जान ले—मेरा बादशाह दूज के चांद के समान है
और आप पूनम के चांद के समान हैं।' बादशाह इस उत्तर से खुश हो गया'देखो, अपने बादशाह को दूज का चांद बताया और मुझे पूनम का ।' वजीर लौटकर हिन्दुस्तान आया । वजीर के साथ आए कुछ चुगलखोरों ने अवसर पाकर बादशाह के कान में फूंक मार दी-जिस वजीर पर आपने विश्वास कर इतना बड़ा दायित्व सौंपा, वह आपके बारे में कैसी खोटी बातें कहता है ? सारी बात सुनकर बादशाह क्रोध में आग-बबूला हो गया । सामान्य से आदमी को भी कोई आकर कह दे कि अमुक ने तुम्हारे बारे में बड़ी हल्की बात कही है तो उसे भी क्रोथ आए बिना नहीं रहेगा । वजीर बादशाह के सामने हाजिर हुआ । बादशाह के तेवर को देखकर वह समझ गया कि बात पहुंच गई है ।
बादशाह क्रोध में उबल पड़ा--'वजीर ! क्या मैंने तुझे इसलिए भेजा था कि वहां जाकर मेरी तौहीन करो ।'
वजीर ने कहा- 'जहांपनाह ! आपने जो सुना है, वह ठीक बात है । मैंने ऐसा कहा था, पर कम-से-कम मेरी पूरी बात तो सुन लें ।'
बादशाह ने कहा-'सुनाओ।'
वजीर ने कहा- 'वहां मैंने आपको दूज का चांद और उसे पूनम का चांद कहा । इस पर विचार ही नहीं किया ।'
बादशाह ने कहा-'इसमें विचार करने की कौन-सी बात है ? क्या मैं दूज और पूनम के चांद का मतलब नहीं समझता ?'
- वजीर ने कहा-'यही तो सोचने की बात है | दुनिया में दूज का चांद
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