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मन का शरीर पर प्रभाव २०१
नहीं है जिसमें अज्ञान भरा पड़ा है, जो जानता नहीं है । प्रेक्षाध्यान शिविर अज्ञान निवारण का भी शिविर होता है । क्या दृष्टिकोण ज्ञान सम्यक् हुए बिना आचरण सम्यक् हो जाएगा ? यह सम्भव नहीं है । भगवान् महावीर ने इसीलिए सबसे पहले सम्यक् दर्शन की बात कही। उमास्वाति ने लिखा-सम्यक् दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः । मोक्ष का मार्ग केवल एक है किन्तु तीन से बना हुआ है । पहला घटक है सम्यक् दर्शन, दूसरा घटक है सम्यक् ज्ञान और तीसरा घटक है सम्यक् चारित्र । सबसे महत्त्वपूर्ण बात है दृष्टि का बदलाव और ज्ञान का सम्यक् हो जाना । ये दोनों बातें सम्यक् हो जाएं तो आचरण, व्यवहार अपने आप परिवर्तित हो जाए, एक नया जीवन-दर्शन उपलब्ध हो जाए ।
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