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४१. संतुलित आहार
संतुलित आहार शब्द का प्रयोग होते ही हमारा ध्यान संतुलित आहार की वर्तमान पद्धति पर चला जाता है। आज सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा संतुलित आहार की तालिका प्रकाशित होती है | संतुलित आहार का अर्वाचीन अर्थ है, जिसमें सब प्रकार के तत्त्व हो । कार्बोहाइड्रेट, वसा, लवण, क्षार, विटामिन्स, प्रोटीन्स-ये सब जिसमें हों, ऐसा आहार संतुलित आहार माना जाता है । स्वाभाविक है--आज की धारणा के आधार पर हमारा ध्यान इस ओर जाएगा किन्तु जिस संतुलित आहार की चर्चा की जा रही है, यह दूसरी धारणा है । संतुलित आहार वह है, जिसमें वात, पित्त, कफ का संतुलन बना रहे, अतिवृद्धि किसी की भी न हो ।
प्रश्न वात, पित्त और कफ का
आयुर्वेद के अनुसार जितने द्रव्य हैं उन सबमें वात, पित्त और कफ की मात्रा मिलती है । एक भी ऐसा द्रव्य नहीं है जो केवल वात करता है, पित्त या कफ नहीं करता । या किंचित मात्रा में सत्त्व, रजस् और तमस् या पंचभूत सबमें विद्यमान है । अग्नीय तत्त्व भी है, जलीय तत्त्व भी है, वायवीय तत्व भी है । ये तीनों सबमें मिलते हैं । यदि हम शुद्धता की दृष्टि से विचार करें तो एक भी तत्त्व ऐसा नहीं है जिसमें इन चार पंच महाभूतों का अथवा सत्त्व, रजस्, तमस् का मिश्रण न हो । हम जो निर्धारण करते हैं—यह वात प्रकृति का आदमी है, यह पित्त-प्रकृति का आदमी है या कफ-प्रकृति का आदमी है | वह अधिकता के आधार पर करते हैं । जो वात प्रकृति का है, उसमें पित्त और कफ की प्रकृति नहीं है ? जो पित्त प्रकृति का है उसमें वात और कफ
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