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१७६ आमंत्रण आरोग्य को
उसका मन स्वस्थ नहीं रह सकता । बहुत आवश्यक है-आत्म-निरीक्षण | हम आत्म-निरीक्षण करते रहें, अपनी भूल का पता चलता रहेगा | जितनी अपनी भूल की स्वीकृति आत्म-निरीक्षण के क्षणों में होती है, उतनी दूसरों के कहने पर कभी नहीं होती । यह एक बहुत बड़ा प्रायिश्चत्त है और मानसिक स्वास्थ्य का बहुत बड़ा साधन भी । ७. जीवन-शैली में बदलाव
मानसिक स्वास्थ्य का सातवां सूत्र है-जीवन-शैली में बदलाव ।
आज की जीवन-शैली है भागदौड़ की, स्पर्धा की, होड़ की । आज आदमी आर्थिक होड़ में उलझा हुआ है, सामाजिक होड़ में उलझा हुआ है । इस होड़ या प्रतिस्पर्धा में एक आदमी दूसरे से बहुत आगे निकल जाना चाहता है । यह तेज रफ्तार उसकी जीवन-शैली का अंग बन चुका है | इसका थायरायड ग्लैंड पर, चयापचय की क्रिया पर बहुत असर होता है। हमारी जो सारी मेटाबोलिज्म की क्रिया है, वह इससे प्रभावित हो जाती है । यह होड़, प्रतिस्पर्धा, अति महत्त्वाकांक्षा, तत्परता की जीवन-शैली मन को बहुत क्षुब्ध बना देती है, बीमार बना देती है, प्रकम्पित कर देती है |
मानसिक स्वास्थ्य चाहने वाला कोरा चाहे ही नहीं, सच्ची चाह है तो राह भी खोजे और राह के लिए ये सात सूत्र हमारे सामने प्रस्तुत हैं । यदि हम सचमुच मानसिक स्वास्थ्य चाहते हैं तो हमें इन सात सूत्रों को आलम्बन लेना ही होगा।
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