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१७८ आमंत्रण आरोग्य को
बच्चे ने कहा-'ये पापा हैं तो फिर अपने घर में जो गंजा आदमी रहता है, वह कौन है?'
'वह भी तेरे पापा हैं ।'
यह परिवर्तन का नियम है, जो व्यक्ति कभी जवान था, आज बूढ़ा बन गया। कभी धुंघराले बाल थे, आज गंजा हो गया । जो इस नियम से अनभिज्ञ है, उनके सामने यह प्रश्न उठता रहता है-यह कौन है और वह कौन है? नियम को जो जानता है, उसके सामने समस्या पैदा नहीं होती । हम परिवर्तन के नियम को नहीं जानते इसीलिए बहुत बार उलझ जाते हैं । एक व्यक्ति को देखा, वह प्रातःकाल दूसरे के साथ बहुत अच्छा व्यवहार कर रहा है | उसी व्यक्ति को दोपहर में देखा, वह क्रोध से उबल रहा था । सुबह वह शांतिनाथ था, दोपहर होते-होते वह ज्वालानाथ बन गया । इतना अन्तर आ गया । आदमी सोचता है क्या वह वही आदमी है, जिसे प्रातःकाल देखा था । आदमी तो वही है, किन्तु उसका मन बदल गया इसलिए आचरण भी बदल गया, व्यवहार भी बदल गया ।
व्यक्तित्व : तीन प्रकार
आचरण और व्यवहार का मन से बहुत गहरा सम्बन्ध है । हम कभीकभी आचरण को देखकर कल्पना कर सकते हैं कि अमुक व्यक्ति का मन कैसा है और कभी-कभी मन की स्थिति भांपकर आचरण की कल्पना कर सकते हैं। दोनों में गहरा सम्बन्ध जुड़ा हुआ है । ऐसा क्यों है ? यह परिवर्तन क्यों होता है ? इसका कारण क्या है ? इस कारण की खोज की गई । धर्म के आचार्यों ने खोज की और आयुर्वेद के आचार्यों ने भी खोज की। अध्यात्म और आयुर्वेददोनों बहुत आस-पास चले हैं । आयुर्वेद के एक सिद्धांत की चर्चा के आधार पर हम समझें-मन के विषय में आयुर्वेद की क्या मान्यता है ? मन के आधार पर मनुष्यों को किस प्रकार बांटा गया है, उनका वर्गीकरण किया गया है ?
आयुर्वेद के अनुसार तीन प्रकार के व्यक्तित्व होते हैं—सात्विक, राजसिक और तामसिक । जिसका मन सत्त्वगुण प्रधान होता है वह सात्त्विक व्यक्ति होता है, जिसका मन रजोगुण प्रधान होता है वह राजसिक व्यक्तित्त्व होता है और जिसका मन तमोगुण प्रधान होता है वह तामसिक व्यक्तित्त्व होता है ।
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