Book Title: Amantran Arogya ko
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 202
________________ १८८ आमंत्रण आरोग्य को है-हमारा नाड़ीतंत्र, दूसरा है ग्रन्थितंत्र-इन दो को समझे बिना साधना को नहीं समझा जा सकता, इन्हें समझे बिना आत्मा तक पहुंचने की बात अधूरी रह जाती है । नाड़ीतंत्र : ग्रंथितंत्र आधुनिक मेडिकल साइंस के अनुसार नाड़ीतंत्र के तीन भाग माने जाते (१) सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम (२) सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम (३) पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम इन तीनों को समझे बिना आत्मा को समझ पाना बहुत कठिन है । दूसरा है ग्रन्थितंत्र । आज का पढ़ा-लिखा आदमी, वैज्ञानिक युग में जीने वाला व्यक्ति ग्रन्थितंत्र के बारे में नहीं जानता है तो शायद अपने बारे में भी वह नहीं जानता है । एक आदमी हिंसक बनता है, अपराधी बनता है, क्रूर बनता है तो इसका कारण है ग्रन्थितंत्र उसे बहुत प्रभावित करता है । पिच्यूटरी ग्रंथि में थोड़ी-सी गड़बड़ हो जाती है तो आदमी का सारा चिन्तन ही गड़बड़ा जाता है, अंतर्दृष्टि समाप्त हो जाती है । नेपोलियन जीतता चला गया । किन्तु वाटरलू की लड़ाई में वह हार गया। क्यों हारा ? इस पर गहन खोज के बाद एक डॉक्टरी रिपोर्ट प्रकाशित हुई, जिसमें बताया गया जिस समय नेपोलियन ने लड़ाई का निर्णय किया, उस समय उसकी पिच्यूटरीग्लैंड फेल हो गई थी इसलिए वह सही निर्णय नहीं ले सका। मर्म को समझें यह एक बहुत महत्त्वपूर्ण विषय है । यदि हमारी ग्रन्थियां ठीक काम नहीं करती हैं, ग्रन्थियों का संतुलन ठीक नहीं होता है तो आदमी के व्यवहार में बहुत सारी गडबड़ियां आ जाती हैं । एड्रीनलग्लैंड ज्यादा सक्रिय होता है तो सारा व्यवहार गड़बड़ा जाता है । यदि ग्रंथियों का स्राव संतुलित रहे, हार्मोन का सेक्रेशन ठीक रहे तो सब कुछ सामान्य होता है । जिसे आत्मिक विकास करना है उसे सबसे पहले शरीर को समझना होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236