Book Title: Amantran Arogya ko
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 188
________________ १०४ आमंत्रण आरोग्य को पूजा जाता है। पूनम के चांद को कोई नहीं पूजता । वह तो निरन्तर घटता ही जाता है । दूज के चांद की कला निरन्तर बढ़ती रहती है ।' बादशाह संतुष्ट हो गया, प्रसन्न हो गया । गुरजिएफ की शिक्षा बात सोचने की है । आदमी सोचता नहीं है। जो भी बात सामने आती है, उसी पर उबल पड़ता है, बरस पड़ता है । इससे मन में अशांति पैदा होती है । अगर हम प्रत्येक घटना पर सोच-विचार करें तो ऐसा नहीं होता । रूस में एक प्रसिद्ध साधक हुआ है गुरजिएफ । वह जब मरने लगा तो उसके लड़के ने कहा-'आपका अन्तिम समय है, हमें कुछ शिक्षा दो ।' गुरजिएफ ने कहा'मुझे सिर्फ एक बात कहनी है क्रोध करने का कोई प्रसंग आए तो कम-सेकम चौबीस घंटा पहले क्रोध मत करना । यदि सोचने को चौबीस घंटा मिल जाए तो कोई क्रोध करेगा ही कैसे ? हमारे बहुत सारे न्यायाधीश ऐसा ही प्रयोग करते हैं । कोई फौजदारी का या कोई क्रिमिनल केस आता है तो केस दायर करने वाले व्यक्ति को दो-चार घंटे का समय दे देते हैं । न्यायाधीश उनसे कहता है— 'किसी एकांत कमरे में बैठ जाओ । चार-पांच घंटे बाद तुम्हारी सुनवाई होगी ।' इस प्रयोग का जो रिजल्ट आया, वह बहुत उत्साहवर्धक रहा । जो केस दायर हुए उसमें से सत्तर प्रतिशत वापस चले जाते । पांच घंटे सोचने का समय मिल जाता है तो क्रोध का पारा अपने आप नीचे उतर जाता है । क्रोध एक आवेग की स्थिति में आता है, जो समय के अन्तराल पर स्वतः शांत होने लगता है । क्रोध का उपशमन करना मानसिक आरोग्य के लिए अत्यन्त आवश्यक है । 1 - ५. तनाव का विसर्जन मानसिक स्वास्थ्य का पांचवां सूत्र है - तनाव का विसर्जन । आदमी तनाव के कारण मानसिक पीड़ा भोगता है। तनाव बहुत आ जाता है तो वह एक गांठ का रूप बना लेता है । वह गांठ मन को दूषित बनाती रहती है । हमारे जीवन में तनाव आ सकता है । जिस दुनिया में हम जीते हैं, उसमें तनाव आने के अनेक कारण हैं। तनाव की संभावना हमेशा बनी रहती है, पर तनाव का विसर्जन करना सीख जाएं तो उससे होने वाली हानि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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