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१५६ आमत्रण आराय का
अतिनिद्रा की समस्या : साधना के प्रयोग
अतिनिद्रा का प्रश्न कम जटिल नहीं है । नींद ज्यादा आए तो क्या करना चाहिए ? यदि वे प्रयोग किए जाएं जिनके द्वारा श्लेष्मा और तमोगुण की कमी हो तो अतिनिद्रा पर नियंत्रण किया जा सकता है जैसे एक प्राणायाम है भस्त्रिका । इससे नींद पर नियंत्रण किया जा सकता है । लम्बे समय तक भस्त्रिका कर लें तो गर्मी भी इतनी बढ़ जाती है कि शायद कुछ समय तक नींद आती ही नहीं । किन्तु इस प्रयोग से धीरे-धीरे निद्रा पर पूर्ण नियंत्रण किया जा सकता है और व्यक्ति स्वस्थ निद्रा की स्थिति में आ सकता है ।
कपालभाती प्राणायाम भी एक प्रयोग है । यह कफ को कम करता है, अतिनिद्रा की स्थिति को बदल देता है ।
एक प्रयोग है नाड़ी-शोधन । नाड़ी-शोधन का प्रयोग रोज किया जए तो अतिनिद्रा पर नियंत्रण किया जा सकता है।
ये कुछ प्रयोग हैं, जिनके द्वारा नींद में कमी लायी जा सकती है । जो व्यक्ति भैंस के दूध का, दही का प्रयोग करेगा उसे नींद ज्यादा आएगी । जिसको अतिनिद्रा है, उसे भैस के दूध और दही से बचना चाहिए । चरक ने बताया जिसको नींद नहीं आती है, उसे भैंस का दूध पिलाना चाहिए । इसीलिए लोग स्वाद की दृष्टि से भैंस का दूध ज्यादा पसंद करते हैं किन्तु स्वास्थ्य की दृष्टि से लोग भैंस के दूध के बजाय गाय का दूध अधिक पसंद करते हैं। उत्तराध्ययन की कथा में एक प्रसंग आता है । एक व्यक्ति को सपना दिलाना था । प्रश्न हुआ सपना कैसे आए ? उपाय बताया गया—आज रात इसे भैंस का दही खिला दो, रात को सपना आ जाएगा ।
प्रयोग हो गुरुगम से
कफ को बढ़ाने वाले द्रव्य नींद को बढ़ाते हैं । उन द्रव्यों से जो बचता है वह अतिनिद्रा के रोग से मुक्त होता है । कुछेक आसन भी ऐसे हैं जो अतिनिद्रा से बचाते हैं। मयूरासन यद्यपि कठिन है, कड़ा है, पर वह निद्रा को कम करता है । तैजसकेन्द्र पर ध्यान करने से नींद में कमी होती है । नाभि पर तैजस का ध्यान, दर्शनकेन्द्र पर लाल रंग का ध्यान, बाल सूर्य का ध्यान-ये सब अतिनिद्रा पर नियंत्रण करते हैं । किन्तु इस संदर्भ में एक बात ध्यान में रहे,
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