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१५४ आमंत्रण आरोग्य को
कब सोएं : कितना सोएं
प्रश्न है-रात को कब सोना चाहिए ? आयुर्वेद में सामान्यतः दिन में सोने का विधान नहीं है । स्वास्थ्य की दृष्टि से बतलाया गया-केवल ग्रीष्म ऋतु में दिन में सोया जा सकता है । वर्षा ऋतु में दिन में सोना, सर्दी ऋत में दिन में सोना बीमारी को न्यौता देना है । दिवास्वाप–दिन में सोना स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं है । जो दिन में सोता है, उसको वायु का प्रकोप अधिक होता है, कफ का प्रकोप भी बढ़ जाता है । हमारे संघ की मर्यादा है कि सोलह वर्ष से ऊपर, पचास वर्ष से कम अवस्था वाला मुनि सामान्यतः दिन में सो नहीं सकता । नींद लेनी हो तो बैठे-बैठे या दीवार का सहारा लेकर नींद ले, पर लेटकर सो नहीं सकता । आयुर्वेद में भी ऐसा ही विधान है कि व्यक्ति बैठे-बैठे नींद ले ले, पर लेटे नहीं । बहुत लोग ऐसे हैं, जो दोपहर में भोजन कर सोते हैं और तीन घंटे से पहले उठते नहीं । यह अधिक आराम भी बहुत सारी बीमारियों का कारण बनता है। अधिक श्रम बीमारियों का कारण बनता है या नहीं, यह एक प्रश्न है किन्तु अधिक आराम बीमारियों का निश्चित कारण बनता है ।
रात को नींद लेने का प्रश्न भी प्रस्तुत होता है । रात में जल्दी सोना और जल्दी उठना, यानी नौ-दस बजे सोना और चार बजे ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना, यह स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम माना जाता है । जो हार्ट पेसेण्ट हैं, आजकल उन्हें यह सुझाव दिया जाता है कि वे जल्दी सोएं व जल्दी उठ जाएं । प्रातः चार-पांच बजे का जो समय होता है वह स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता की दृष्टि से बहुत काम का होता है । उस समय आकाश के सौरमण्डल से जो विकिरण होता है, वह मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी होता है । जल्दी सोना और जल्दी उठ जाना बहुत लाभप्रद होता है । रात को कब सोना चहिए, कब उठना चाहिए इसका भी एक विवेक होना चाहिए । कुछ लोग दिन में नींद में डूबे रहते हैं और रात में भी नींद लेते हैं । इसे उचित नहीं माना जा सकता । सोने की भी एक सीमा है । इस सीमा को जानना साधना और स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है | यदि नींद ज्यादा आती है या नींद कम आती है तो क्या उपाय किया जा सकता है ? अनिद्रा : साधना के प्रयोग ___ कायोत्सर्ग का उपयोग अनिद्रा के लिए नहीं है किन्तु अनिद्रा की बीमारी
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