Book Title: Amantran Arogya ko
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 176
________________ १६२ आमंत्रण आरोग्य को गुस्सा मत करो कि हार्ट अटैक हो जाए । एक है नियंत्रण का कक्ष और एक है उद्दीपन का कक्ष 1 उद्दीपन करने वाला भी हमारा एक अवयव है और उस पर नियंत्रण करने वाला भी एक अवयव है । हाइपोथेलेमस के द्वारा ये दोनों काम हो जाते हैं। यही है आत्मानुशासन चंचलता भी मन के द्वारा और उस पर नियंत्रण करना भी मन के द्वारा होता है । ये दोनों बातें एक साथ कर सकते हैं। अगर यह रहस्य समझ में आ जाए तो ध्यान की प्रक्रिया बहुत सम्यक् चल सकती है, हम अपना नियंत्रण अपने द्वारा कर सकते हैं । मन अपने द्वारा अपने-आप पर नियंत्रण कर सकता है । सन्देह की कोई गुंजाइश भी नहीं है। अगर हम उचित प्रक्रिया करें तो मन स्वयं अपने पर नियंत्रण कर सकता है और उचित प्रक्रिया न करें तो मन को दौड़ने के लिए खुला मैदान मिल जाता है । अपने द्वारा अपने पर नियंत्रण, मन का मन पर नियंत्रण- इसी का नाम है आत्मानुशासन । यही है अपने पर अपना अनुशासन । यह स्थिति समझ में आए तो मन के तूफान बंद हो सकते हैं । जिन लोगों का मन सध गया, वे मन पर अपना नियंत्रण कर लेंगे। मन का तूफान शान्त हो कहा जाता है—समुद्र की खाड़ी में तूफान आ गया । समुद्र की लहरें इतनी ऊंची जा रही थीं कि दूर-दूर के पदार्थ वह अपने चपेट में लेने लगीं। समुद्र तट पर एक अलमस्त व्यक्ति पड़ा है । लोगों ने उसे सचेत किया, अरे! देखते नहीं हो, कितना जोर का तूफन है ? चपेट में आ जाओगे, डूब जाओगे। चलो, हमारे साथ, दूर चले चलो । अलमस्त बोला-चिंता की क्या बात है? तूफान आता है, चला जाता है । आदमी भी आता है, चला जाता है । उसका उत्तर सुन सारे दंग रह गए । लोग तूफान को देखना भूल गए, उसे ही देखते रहे कि देखें क्या होता है ? संयोग ऐसा बना-पांच मिनट में तूफान बंद हो गया । लोगों ने कहा-आप घबराए नहीं, यह क्या ? अलमस्त ने कहासनो ! तुम घबराते हो | पहले अपने मन का तूफान बंद करो तो यह तूफान अपने-आप बंद हो जाएगा | कितनी मर्म की बात है । सबसे ज्यादा खतरनाक है यह मन का तूफान । तूफान उसी के लिए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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