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निद्रा, अनिद्रा और अतिनिद्रा १५३
अनिद्रा : अन्य कारण
अनिद्रा का एक कारण है- भय । भय के कारण भी अनिद्रा हो जाती है । क्रोध से भी अनिद्रा हो जाती है ।
अनिद्रा का एक कारण है- उपवास । उपवास से भी अनिद्रा हो जाती है । जिन्हें उपवास थोड़ा कठिन होता है, उन्हें कल्पनाएं आती रहती हैं--- कब दिन निकले, किस चीज से पारणा करें- ये कल्पनाएं आती रहती हैं, नींद नहीं आती । अनिद्रा की स्थिति हो जाती है ।
शरीर और साधना के लिए नींद आवश्यक है। अगर व्यक्ति को समय पर नींद न आए और वह ध्यान करने बैठने बैठ जाए तो ध्यान कम होगा, नींद ज्यादा आएगी | साधना के लिए जरूरी है नींद, जिससे साधना में बाधा न पड़े । नींद शरीर के लिए भी जरूरी है ताकि शरीर हल्का हो जाए । एक नींद वह होती है, जिससे शरीर बिल्कुल हल्का हो जाता है । एक नींद वह होती है कि उठने के बाद शरीर भारी हो जाता है । इसे वैकारिकी निद्रा कहा जाता है । नींद से जुड़ा प्रश्न
प्रश्न होता है कि क्या साधना के क्षेत्र में अनिद्रा और अतिनिद्रा के निवारण का कोई उपाय नहीं है ? चिकित्सा के क्षेत्र में इनके उपाय बतलाए गए हैं। अनिद्रा है तो किस औषधि से उसका शमन किया जाए ? अगर अतिनिद्रा है तो किस औषधि द्वारा उसका शमन किया जाए ? चिकित्सा के क्षेत्र में औषधि का एक निरूपण है | अनिद्रा के जो बीमार हैं, वे नींद की गोलियां लेकर सोते हैं, लेकिन अतिनिद्रा वाला कोई दवा लेता हो, ऐसा सुनने में बहुत कम ही आता है | किन्तु आयुर्वेद के प्राचीन ग्रन्थों में इसका बहुत निरूपण है कि अतिनिद्रा के लिए किस औषधि का प्रयोग किया जाता है | साधना के संदर्भ में प्रश्न होता है—क्या कोई साधना का उपाय है, जिससे अनिद्रा और अतिनिद्रादोनों से ही बचा जा सके ? हर आदमी नींद लेता है । यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है | बड़ा जटिल है नींद का प्रश्न । शरीर से जुड़े हुए कुछ प्रश्न जटिल हैं । भोजन का प्रश्न भी ऐसा ही है । खाना, पीना, सोना, मौलिक मनोवृत्तियां, काम वासना तथा आवेग-ये सारे हमारे सामने बड़े प्रश्न हैं । इन प्रश्नों के इतने पहलू हैं कि पूरा समझे बिना वांछित फल नहीं मिलता ।
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