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१३२ आमंत्रण आरोग्य को योग और मनोबल
तीसरा साधन है- योग का रसायन । रसायनों के सेवन से मनोबल का विकास होता है ।
चरक, सुश्रुत आदि आयुर्वेद के ग्रंथों में रसायनों द्वारा मनोबल, मानसिक शक्ति के विकास के अनेक उपाय सुझाए गए हैं। वहां प्रतिपादित है- शंखपुष्पी के द्वारा अमुक शक्ति का विकास होता है, ब्राह्मी के द्वारा अमुक शक्ति का विकास होता है, आदि-आदि । आयुर्वेद के प्रामाणिक ग्रंथों में भी अनेक रसायनों के द्वारा मानसिक शक्तियों के विकास की चर्चा उपलब्ध होती है । यह है युक्तिकृत मनोबल के विकास का प्रतिपादन ।
आयुर्वेद में सहज, कालज और युक्तिकृत- इन तीनों बलों का बहुत सूक्ष्मता से विवेचन प्राप्त है | आज की चिकित्सा पद्धति आयुर्विज्ञान (मेडिकल साइंस) में शरीर की चिकित्सा करने वाला डॉक्टर फिजीशियन कहलाता है । वह एम० डी० या अन्यान्य परीक्षाएं पास करता है । शल्य-चिकित्सक सर्जन कहलाता है । वह एम० एस० परीक्षा उत्तीर्ण करता है । इसके साथ मानसिक चिकित्सा की एक भिन्न शाखा है । आयुर्वेद में मानसिक चिकित्सा का पृथक् वर्गीकरण नहीं है । प्रत्येक कुशल वैद्य शारीरिक चिकित्सा के साथ-साथ मानसिक चिकित्सा में भी प्रवीण होता है । इन तीनों शक्तियों को जानना अनिवार्य होता
सहनशक्ति : तापशक्ति
___ मन की अनेक शक्तियां हैं। उनमें एक शक्ति है- सहन करना । सहिष्णुता उसकी मुख्य शक्ति है । शंकराचार्य ने 'सौन्दर्य लहरी' ग्रन्थ में आठ सिद्धियों का वर्णन किया है । उनमें दो सिद्धियां हैं- सहनशक्ति और तापशक्ति । सहनशक्ति के द्वारा कठिनाइयों को झेला जा सकता है, आपदाओं का सहज रूप से सामना किया जा सकता है। बड़े-बड़े व्यक्ति भी आपदाओं को झेलने में कायर बन जाते हैं । बम्बई में एक बड़ा व्यापारी था । उसे व्यापार में घाटा लगा, बड़ी समस्या पैदा हो गई। वह उस आपदा को सम्हाल नहीं सका । जीवन से ऊबकर उसने समुद्र की शरण लेनी चाही । वह पानी में डूब मरने की अभिलाषा से समुद्र के किनारे गया । तत्काल उसके मन में एक विचार आया-अरे ! मैंने आचार्य तलसी से गरुधारणा करते समय संकल्प किया था कि मैं कभी
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