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आमंत्रण आरोग्य को
शरीर से परे झांकें ____ व्यक्ति साठ, सत्तर, अस्सी वर्ष का हो जाता है । बूढ़ा हो जाता है, पर उसे सोचने का अवसर ही नहीं मिलता या वह सोचना जानता ही नहीं कि शरीर से आगे भी कुछ और है । हमें शरीर से आगे की बात पर भी ध्यान देना चाहिए | आदमी दृश्य पर ही अटक जाता है । दृश्य ऐसी भ्रांति और मूर्छा पैदा करता है कि उसे तोड़कर आगे जाना असंभव-सा बन जाता है । आवश्यकता है कि हम शरीर से परे जाकर झांकें।
शरीर के बाद हमारी दूसरी शक्ति है- इन्द्रियां । यह इन्द्रिय-शक्ति चेतना की शक्ति है । आंख का गोलक, कान और नाक आदि आकृतियां हैं, इनमें इन्द्रिय शक्ति नहीं है । किन्तु इन्द्रिय की चेतना-शक्ति, जिसके द्वारा आदमी देखता है, बोलता है, सुनता है, सूंघता है, वह इन्द्रिय-शक्ति शरीर से परे की बात है । उससे आगे है इन्द्रिय-शक्ति को संचालित करने वाली शक्ति । वह है मन की शक्ति । इन्द्रियों का संचालक है मन । मन में भाव आया- आकाश साफ है या आंधी आएगी । तत्काल आंखें ऊपर, इधर-उधर देखने लग जाती हैं । मन में प्रश्न हुआ कि आवाज कहां से आ रही है ? कान तत्काल उस
ओर तत्पर हो जाएंगे। इस प्रकार मन में जो आता है, उसको क्रियान्वित करना इन्द्रियों का काम है। मन के तीन कार्य ____ मन के तीन मुख्य कार्य हैं- सुखानुभूति, दुःखानुभूति, इन्द्रियों को प्रेरित करना । इन्द्रियों को संचालित करना उसका प्रमुख काम है । मन में यह शक्ति नहीं है कि वह गंध को जान सके, रस और स्पर्श को जान सके या अच्छेबुरे शब्द सुन सके । जो पांच विषय हैं उनका संवेदन करना इन्द्रिय-शक्ति पर आधारित है । किन्तु सारी इन्द्रियां मन के लिए काम करती हैं । ये मन के लिए कच्चा माल (रॉ मेटीरियल) जुटाती हैं । मन का काम है- कच्चे माल को पक्के माल में बदलना ।।
मन का दूसरा और तीसरा काम है-सुख की अनुभूति करना, दुःख की अनुभूति करना । जो अमनस्क प्राणी हैं, जिनका मन विकसित नहीं है, वे सुख की अनुभूति भी कम करेंगे और दुःख की अनुभूति भी कम करेंगे | जिनमें मन का विकास है, उनमें सुखानुभूति भी तीव्र होगी और दुःखानुभूति भी तीव्र
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