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मन के लिए कितना समय १३७
प्राण को संचालित करने वाली शक्ति है- चेतना । इन तीनों का योग है तो जीवन है, अन्यथा नहीं। तीनों में से एक का भी अभाव सारे तन्त्र को अस्तव्यस्त कर देता है। ___ आदमी का सारा ध्यान आज शरीर पर ही अटक गया है। वह स्वाभाविक भी है कि जो सामने आता है, उसी पर ध्यान ज्यादा जाता है । जो सामने नहीं आता, उस पर ध्यान कम जाता है | स्थूल पर ध्यान ज्यादा जाता है । सूक्ष्म पर उतना ध्यान नहीं जाता । शरीर स्थूल है । मन सूक्ष्म है । चेतना उससे भी अधिक सूक्ष्म है । उस पर ध्यान जाता ही नहीं है । चिन्ता है शरीर की
आयुर्विज्ञान में शरीर पर बहुत खोज हुई है । शरीर की एक-एक कोशिका के विषय में सूक्ष्म ज्ञान किया गया है । आज भी अन्वेषण चल रहे हैं, प्रयोग हो रहे हैं, किन्तु प्राणशक्ति पर अभी पर्याप्त काम नहीं हुआ है । विज्ञान काम करता है यंत्रों द्वारा | प्राणशक्ति का अनुशासन कर सके, ऐसा कोई यंत्र नहीं बना है इसलिए यह विज्ञान की पकड़ से बाहर है । प्राण सूक्ष्म है, चेतना सूक्ष्मतम है इसलिए सारा ध्यान टिका हुआ है स्थूल पर, शरीर पर । खाद्य पदार्थों की भरमार, दवाओं की प्रचुरता- ये सब इसलिए हैं कि शरीर स्वस्थ रहे । शरीर की चिन्ता सबको है पर आश्चर्य इस बात का है कि शरीर को चलाने वाले की चिन्ता किसी को नहीं है । सम्भवतः यही कारण है- आज बीमारियां और अकाल मृत्यु अधिक नहीं हैं ।
कोरा शरीर काम नहीं देता, वह जल्दी समाप्त हो जाता है | यह माना जाता है कि हमारा हृदय तीन सौ वर्षों तक कार्य कर सकता है । इतनी क्षमता है हृदय में । हमारी हड्डियां, हमारा मस्तिष्क, बहुत मजबूत है । इनमें लम्बे समय तक कार्य करने की शक्ति है किन्तु ये शीघ्र ही निष्क्रिय हो जाते हैं, क्योंकि हम प्राणशक्ति की परवाह नहीं करते । सम्भव है, शरीर यह सोचता हो कि आदमी केवल मेरी चिन्ता करता है मुझे चलाने वाले की चिन्ता नहीं करता, इसलिए मुझे भी जल्दी ही समाप्त हो जाना चाहिए । आज के मनुष्य की सारी चिन्ता शरीर-केन्द्रित है | वह प्राण, मन और चेतना की चिन्ता नहीं करता । इस स्थिति में प्राण, मन और चेतना की शक्ति कैसे ठीक रह सकती
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