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मनुष्य की प्रकृति है शाकाहार ६१
प्रश्न धर्म और नैतिकता का ___मंत्री महोदय को इसमें आपत्ति है कि खाने-पीने की सामग्री को धर्म और नैतिकता से जोड़ा जा रहा है, यह आपत्ति सही है । खाने-पीने की सामग्री को धर्म और नैतिकता से नहीं जोड़ना चाहिए और नहीं जोड़ा जा रहा है । धर्म जुड़ा हुआ है खाने वाले के साथ । खाने वाला क्या खाता है और उसका परिणाम क्या होता है, यह प्रश्न धर्म और नैतिकता से जुड़ा हुआ है । बाजार में खानेपीने की प्रचुर सामग्री पड़ी है । उससे धर्म और नैतिकता का कोई संबंध नहीं है । दुकानदार बेचते समय प्रामाणिकता बरतता है या अप्रामाणिकता ? वहां धर्म और नैतिकता का प्रश्न उपस्थित हो जाता है | आहार के विषय में भी यही बात है ।
मांसाहार : धर्म और नैतिकता
मांस का धर्म और नैतिकता से कोई संबंध नहीं है किन्तु मांसाहार का उनसे संबंध स्थापित हो जाता है । मांसाहार के साथ जीव-हिंसा की क्रूरता जुड़ी हुई है । लोभ और हिंसा-ये दोनों क्रूरता के जनक हैं । मांसाहार न करने वाला जीव-हिंसा-जनित क्रूरता से सहज ही बच जाता है । इसका स्वयंभू प्रमाण है जैन समाज । वह अनेक अपराधों से इसीलिए दूर है कि वह मांसाहारी नहीं है । हिंसा स्वयं अपराध है | वह अनेक अपराधों को जन्म देती है | मांसाहार न करने वाला उन सबसे अपने आपको बचा लेता है । आहार या पोषण के वैज्ञानिक आहार और व्यवहार में पर्याप्त संबंध बतलाते हैं । उनके अनुसार आहार मनुष्य के स्वभाव को बदल सकता है । आहार से बनने वाले न्यूरोट्रांसमीटर हमारे व्यवहार को नियंत्रित करते हैं इसलिए आहार के विषय में धर्म और नैतिकता के दृष्टिकोण से विचार करना अस्वाभाविक नहीं है ।
आहार के चयन का आधार
शाकाहार स्वास्थ्य के लिए अधिक अनुकूल है, यह स्वास्थ्य का पहलू है | उसका आध्यात्मिक पहलू भी है । आध्यात्मिक विकास के लिए इसका और अधिक मूल्य है । जार्ज बर्नार्ड शॉ ने कहा- 'मेरा पेट कब्रिस्तान नहीं हैं इसलिए मैं मांस नहीं खाता' । मांसाहारी लोगों को ध्यान में रखकर उन्होंने लिखा'हम मारे गए जानवरों की जीवित कब्रे हैं ।' जानवर पेट में जाएगा, क्या उसके
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