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शरीर, मन और मनोबल १२७
है । ध्यान से पाचनतंत्र और रक्ततंत्र पर भी प्रभाव होता है । यदि आसन ठीक चलते हैं, चेष्टा उचित होती है तो ये समस्याएं स्वतः हल हो जाती हैं |
सम्यक् आहार और सम्यक् चेष्टा—इन दो को प्रत्येक व्यक्ति सीख सकता है और इनसे लाभ उठा सकता है ।
तीसरा है-सम्यक् योग | इस बात को हर आदमी नहीं जान सकता । आयुर्वेद का कुशल चिकित्सक ही बता सकता है कि किस ऋतु में, किस क्षेत्र में कौन-सा रसायन उपयोगी हो सकता है ? यदि इसका सम्यक् ज्ञान नहीं होता है तो बल को बढ़ाने के बदले उसको घटा देने वाली स्थिति बन सकती है । इन तत्त्वों का सम्यक् ज्ञान और सम्यक् प्रयोग प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपयोगी बन सकता है।
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