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२५. नए शब्द की खोज करें
सत्य का एक अर्थ है ऋजुता, सरलता । शरीर की ऋजुता, भाषा की ऋजता, भाव की ऋजुता और अविसंवाद | प्रवंचना असत्य है | धर्म का क्षेत्र सत्य की साधना का क्षेत्र है | साथ-साथ यह भी पूछा जा सकता है क्या धर्म की भूमि पर प्रवंचना के बीज नहीं उगे हैं ? क्या उनसे धर्म का कोई कल्याण हुआ है ? क्या सांप्रदायिक संघर्ष में कोई कमी आई है ? इन प्रश्नों का उत्तर 'हां' में नहीं दिया जा सकता ।
सर्वधर्म-समभाव : अर्थ-मीमांसा
सर्वधर्म-समभाव, सर्वधर्म समानत्व, सर्वधर्म सद्भाव आदि अनेक शब्द प्रचलित हैं। इनमें यथार्थता कम है, औपचारिकता अधिक है । महात्मा गांधी ने लिखा-'जैसे हम अपने धर्म को आदर देते हैं, ऐसे ही दूसरे धर्म को दें —मात्र सहिष्णुता पर्याप्त नहीं है ।' (बापू के आशीर्वाद, पृ० ८)
सर्वधर्म समभाव का अर्थ क्या है ? तात्पर्य क्या है ? साधारण आदमी इसका अर्थ नहीं जानता । समभाव का एक अर्थ हो सकता है तटस्थ भाव । दूसरा अर्थ हो सकता है समानता का भाव । यदि सब धर्मों के प्रति हमारी तटस्थता हो-किसी के प्रति पक्षपात न हो तो हमारी स्थिति मात्र द्रष्टा की बन जाती है, किसी भी धर्म के प्रति हमारा कर्तव्य प्रस्फुटित नहीं होता । हमें कम-से-कम एक धर्म की प्रणाली को आचरणीय बनाना ही चाहिए।
समानता की भूलभुलैया
सर्वधर्म समभाव का अर्थ सब धर्मों के प्रति समानता का भाव करें तो क्या यह हमारा चिन्तन प्रवंचना से मुक्त होगा ? एक व्यक्ति अहिंसा को धर्म
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