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११४ आमंत्रण आरोग्य को
प्रेरक घटना
पंजाब के राजा रणजीतसिंह जा रहे थे । अचानक एक पत्थर आया और महाराजा के सिर पर लगा । चारों ओर छानबीन शुरू हुई कि किसने पत्थर फेंका ? पता लगाते-लगाते एक पेड़ के नीचे पहुंचे, जहां बुढ़िया खड़ी थी । वे उसे पकड़ लाए और महाराज के पास लाकर बोले- 'महाराज ! यही है जिसने आपके सिर पर पत्थर की चोट की है । इसी ने पत्थर फेंका है और कोई नहीं मिला ।' बुढ़िया बेचारी कांपने लगी । बड़ी विचित्र स्थिति थी । महाराजा ने उससे पूछा- 'तुमने पत्थर फेंका ?' उसने कांपते स्वर में कहा-हां महाराज ! क्यों फेंका-महाराज ने पूछा ? वह बोली-'बड़ी गरीब हूं | दो दिन हो गए, खाने को कुछ मिला नहीं । ऐसी गरीबी में जी रही हूं | छोटा लड़का है । मैंने सोचा-कुछ तो लाकर लड़के को दूं । पेड़ के नीचे खड़ी थी । फल तोड़ने के लिए पत्थर फेंका, अचानक योग मिल गया कि वह पत्थर उधर नहीं गया, इधर आ गया और आपके सिर पर चोट लग गई । यह सही घटना है, अब आप जो चाहें सो करें ।'
महाराजा ने तत्काल अपने सैनिक अधिकारियों से कहा-'इसे कछ अशर्फियां दो और तत्काल छोड़ दो ।' सब दंग रह गए | यह कैसा दण्ड ? यह भी कोई दंड होता है? इसे तो फांसी की सजा होनी चाहिए | महाराजा के सिर पर चोट लगाने वाले को यह इनाम ? वे बोले नहीं । महाराजा ने कहा- 'तुम नहीं जानते, पेड़ पर पत्थर फेंकने से पेड़ मीठा फल देता है । जब पेड़ भी मीठा फल देता है तो मैं क्या कड़वा फल दूंगा ? यह कभी नहीं हो सकता । इसे इनाम देकर मुक्त कर दो ।'
यह कितनी प्रेरक घटना है । जिसका दिमाग शान्त और संतुलित होता है वह किस प्रकार का निर्णय लेता है और किस प्रकार अहिंसा का विकास करता है । अगर दिमाग असंतुलित होता तो सीधा दण्ड दिया जाता-जाओ, फांसी पर लटका दो, मार डालो । संतुलित दिमाग वाले का निर्णय अहिंसा से ओत-प्रोत होता है। ऐसी घटनाएं अहिंसा के लिए आदमी को प्रेरित करती
अहिंसा के सिद्धान्त : वर्तमान मानस
अहिंसा के सिद्धान्त अहिंसा के लिए प्रेरित करते हैं । अहिंसा का सिद्धान्त
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