Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / अष्टमो विभागः / उवसंपन्नो जुत्तो रक्खामि महब्बए पंच // 72 // मणसा मणसचविऊ वाया। सच्चेण करणसञ्चेण / तिविहेणवि सञ्चविऊ रक्खामि महव्वए पंच // 73 // सत्तभयविप्पमुक्को चत्तारि निलंभिऊण य कसाए / अट्ठमयट्ठाणजड्डो रक्खामि महव्वए पंच // 74 // गुत्तीयो समिई भावणायो नाणं च दंसणं चेव / उवसंपन्नो जुत्तो रक्खामि महब्बए पंच // 75 // एवं तिदंडविरयो तिकर. णसुद्धो तिसल्लनिस्सल्लो / तिविहेण अप्पमत्तो रक्खामि महव्वए पंचः // 76 // संगं परिजाणामि सल्लं तिविहेण उद्धरेऊणं / गुत्तीयो समिईयो मझ ताणं च सरणं च // 77 // जह खुहियचकवाले पोयं रयणभरियं समुहामि / निजामगा धरिती कयकरणा बुद्धिसंपराणा // 78 // तवपोयं गुणभरियं परीसहुम्मीहि खुहियमारद्धं / तह वाराहिति विऊ उवएसवलंबगा धीरा // 79 // जइ ताव ते सुपुरिसा बायारोवियभरा निरवयक्खा / पब्भारकंदरगया साहिती अप्पणो अट्ठ // 80 // जइ ताव ते सुपुरिसा गिरिकंदरकडगविसमदुग्गेसु / धिइधणियबद्ध कच्छा साहिती अप्पणो अटुं / 81 // किं पुण अणगारसहायगेण अराणुराणसंगहबलेणं / परलोए णं सको साहेउं अप्पणो अटुं? // 82 // जिणवयणमप्पमेयं महुरं कराणा. हुई सुणतेणं / सक्को हु साहुमज्झे साहेडं अप्पणो अटुं // 83 // धीरपुरिसपणत्तं सप्पुरिसनिसेवियं परमघोरं / धन्न सिलायलगया साहिती अप्पणो अट्ठ // 84 // बाहिति इंदियाई पुग्ध-मकारियपइराणचारीणं / अकयपरिकम्मकीवा मरणे सुहसंगता(वा)यमि // 85 // पुव्वमकारियजोगो समाहिकामो श्र मरणकालंमि / न भवइ परीसहसहो विसयसुहसमुइयो अप्पा // 86 // पुलिं कारियजोगो समाहिकामो य मरणकालंमि / स भवइ परीसहसहो विसयसुहनिवारियो अप्पा // 87 // पुदि कारियजोगो अनियाणो ईहिऊण मइपुव्वं / ताहे मलियकसायो सज्जो मरणं पडि. छिजा // 8 // पावीणं पावाणं कम्माणं अप्पणो सकम्माणं / सका
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