Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ 78] [ श्रीमदागमसुधासिधु अष्टमो विमागा ठिई भणिया / पलिग्रोवम चंदाणं वाससयसहस्स-मभहिय॥ 151 // पलिश्रोवमं गहाणं नक्खत्ताणं व जाण पलियद्धं / पलियचउत्थो भायो ताराणवि सा ठिई भणिया // 160 // पलिग्रोवमट्ठभागो ठिई जहरणा उ जोइसगणस्स / पलियोरममुक्कोसं वाससयसहस्समभहियं // 161 // भवणवइवाणवंतर-जोइसवासी ठिई मए कहिया। कप्पवईवि य वुच्छं बारस इंदे महिड्डीए॥ 162 // पढमो सोहम्मवई ईसाणवई उ भन्नए बीयो / तत्तो सणंकुमारो हवइ चउत्थो उ माहिंदो // 163 // पंचमए पुण बंभो छट्टो पुण लंतयोऽत्य देविंदो / सत्तमयो महसुक्को अट्ठमयो भवे सहस्सारो॥ 164 // नवमो श्र पाणइंदो दसमो उण पाणउत्थ देविंदो। श्रारण इक्कारसमो बारसमो अच्चुए इंदो // 165 // एए बारस इंदा कप्पवई कप्पसामिया भणिया। बाणाईसरियं वा तेण परं नत्थि देवाणं // 166 // तेण परं देवगणा सयइच्छियभावणाइ उववन्ना / गेविज्जेहिं न सको उववाग्रो अन्नलिंगेणं // 167 ॥जे दंसणवावन्ना लिंगग्गहणं करंति सामगणे / तेसिंपिय उववाश्रो उक्कोसो जाव गेविजा // 168 // इत्थ किर विमाणाणं बत्तीसं वरिणया सयसहस्सा / सोहम्मकप्पवइणो सक्कस्स महाणुभागस्स // 161 // ईसाणकप्पइणो अट्ठावीसं भवे सयसहस्सा / बारस्म सयसहस्सा कप्पम्मि सणंकुमारम्मि // 170 // अट्ठव सयसहस्सा माहिदमि उ भवंति कप्पम्मि / चत्तारि सयसहस्सा कप्पम्मि उ बंभलोगम्मि // 171 // इत्थ किर विमाणाणं पन्नासं लंतए सहस्साइं / चत्तारि महासुक्के छच्च सहस्सा सहस्सारे // 172 // पाणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणच्चुए तिनि / सत्त विमाणसयाई चउसुवि एएसु कप्पेसु // 173 // एयाइ विमाणाई कहियाइं जाई जत्थ कप्पम्मि / कप्पवईणवि सुंदरि ! ठिईविसेसे निसामेहि // 174 // दो सागरोवमाई सकस्स ठिई महाणुभागस्स / साहीया ईसाणे सत्तेव सणंकुमारम्मि // 175 // माहिंदे साहियाइं सत्त दस चेव बंभलोगम्मि / चउदस लंतइ
Page Navigation
1 ... 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152