Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 118
________________ प्रकीर्णकानि #10 श्रीमरणसमाधिप्रकीर्णकम् ] [ 107 एस परिकम्मं // 345 // श्रागरसमुट्ठियं तह अज्झसिरवागतण-पत्तकडए य। कट्ठसिल्लाफलगंमि व अणभिजय निष्पकप्पंमि // 346 // निस्संधिणा तणंमि व सुहपडिलेहेण जइपसत्थेणं / संथारो काययो उत्तरपुसिरो वावि // 347 // दोसुत्थ अप्पमाणे अंधकारे समम्मि अ णिसि? / निरुवहयम्मि गुणमणे वणम्मि गुत्ते (थणंनिगुत्ते) य संथारो // 348 // जुत्ते पमाणरइयो उभयोकाल-पडिलेहणासुद्धो / विहिविहिश्रो संथारो पारुहियब्बो तिगुत्तेणं // 34 // यारुहियचरित्तभरो अन्नेसु उ (अन्नसउ) परमगुरुसगासम्मि / दव्वेसु पजवेसु य खिते काले य सम्बंमि // 350 // एएसु चेव ठाणेसु चउसु सम्बो चउबिहाहारो। तवसंजमुत्ति किचा वोसिरियव्यो तिगुत्तेणं // 351 // अहवा समाहिहेउं कायवो पाणगस्त थाहारो। तो पाणगंपि पच्छा वो सिरियध्वं जहाकाले // 352 // निसिरेत्ता अप्पाणं सव्वगुणसमनियम्मि निजवए। संथारगसंनिविट्ठो अनियाणो चेव विहरिजा // 353 // इहलोए परलोए अनियाणो जीविए य मरणे य / वासीचंदणकप्पो समो य माणाप्रमाणेसु // 354 // ग्रह महुरं फुडवियडं तहप्पसायकरणिजविसयकयं। इज कहं निजवयो सुईसमन्नाहरणहेउं // 355 // इहलोए परलोए नाणचरणदंसणंमि य अवायं / दसेइ नियाणम्मि य मायामिच्छत्तसल्लेणं // 356 // बालमरगो वायं तह य उवायं अबालमरणम्मि / उस्सासरज्जु. वेहाणसे य तह गिद्धपट्टे य // 357 / / जह य अणु यसल्लो सप्तल्लमरणेण कइ मरेऊणं / दसणनाणविहूणो मरेंतिअसमाहिमरणेणं // 358 // जह सापरसे गिद्वा इथिग्रहंकार-पावसुयमत्ता / श्रोसन्नबालमरणा भमंति संसारकंतारं // 35 // यह मिच्छत्त ससल्ला मायासल्लेण जह ससल्ला य / जह य नियाण ससल्ला मरंति असमाहिमरणेणं // 360 // जह वेयणणावसट्टा मरंति जह केइ इंदियवसट्टा / जह य कसायवसट्टा मरंति असमाहिमरणेणं // 361 // जह सिद्धिमग्ग दुग्गइ-सग्गग्गल-मोडणाणि मरणाणि / मरिऊण

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