Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 137
________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धु अष्टमो विभागः // परिशिष्टम् // मतान्तरेण प्रकीर्णकदशकगत-प्रकीर्णद्वयम् / / // 1 // श्रीचन्द्रवेध्यक-प्रकीर्णकम् // जगमत्थयट्ठियाणं विगसिय-वरनाणसण-धराणं / नाणुजोयगराणं लोगम्मि नमो जिणवराणं // 1 // इणमो सुणह महत्थं निस्संदं मुखमग्गसुत्तरस / विगहनियत्तिचित्ता सोऊण य मा पमाइत्थ // 2 // विणयं पायरियगुणे सी सगुणे विणयनिग्गहगुणे य। नाणगुणे चरणगुणे मरणगुणे इत्थ वुच्छामि // 3 // दारगाहा // .. ( 1 ) विणयो:जो परिभवइ मणुस्सो पायरियं जत्थ सिम्खए विज्ज / तस्स गहि. यावि विजा दुःखेणवि निष्फला होइ // 4 // थद्धो विणयविहूणो न लहइ कित्तिं जसं च लोगम्मि / जो परिभवं करेइ गुरूण गुरुयाइ कम्माणं // 5 // सव्वत्थ लभिज नरो विस्संभं पचयं च कित्तिं च / जो गुरुजणोवइट्ठ विज विणएण गिह्निजा॥ 6 // अविणीयस्स पणस्सइ जइवि न भस्सइ न जुजइ गुणेहिं / विजा सुसिविखया वि हु गुरुपरिभव बुद्धिदोसेणं // 7 // विजामणुसरियव्वा न हु दुब्बिणीयस्स होइ दायव्वा / परिभवइ दुविणी यो त विज्जं तं च यायरियं // 8 // विज्जं परिभत्रमाणो यायरियाणं गुणेऽप्रयासितो। रिसिघायग.ण लोयं वच्चइ मिच्छत्तसंजुत्तो॥१॥ विजावि होइ बलिया गहिया पुरिसेण भागधिज्जेण। सुकुलकुलवालिया विव असरिसपुरिसं पई पत्ता // 10 // सिक्खाहि ताव विणयं किं ते विजाइ दुविणीयस्स / दुस्सिक्खियो हु विणयो सुलहा विजा विणीयस्स // 11 // विज्जं सिखह विज्जं गुणेह गहियं च मा पमाएह / गहियगुणिया हु विजा परलोयसुहावहा होई // 12 // विणएण सिक्खियाणं विजाणं परिसमत्तसुत्ताणं / सका फलमणुभुत्तुं गुरुजण-तुट्ठोवइट्ठाणं // 13 // दुल्लभया थायरिया विजाणं दायगा समत्ताणं / ववगय-चउकसाया दुल्लहगा सिक्खगा

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