Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 139
________________ 128] 1 श्रीमदागमसुधासिन्धुः / अष्टमी विमागा याणं निचं प्राइचचंदभूयाणं / संसारमहराणव-तारयाणं पाए पणिवयंति // 31 // इहलोइयं च किसिं लहइ य ायरियभत्तिराएण / देवगई सुविसुद्धं धम्मे य अणुत्तरं बोहिं // 32 // देवा वि देवलोए निव्वं दिव्योहिणा वियाणित्ता / पायरियाण सरता भासणसयणाई मुचंति // 33 // देवावि देवलोए निग्गंथं पवयणं अणुसरंता / अच्छरगण-मझगया थायरिए वंदयाइति // 34 // छट्टट्ठम दसमदुवालसेहिं भत्तेहिं उववसंता वि / अकरिता गुरुवयणं ते हुँतेि अणंतसंसारी // 35 // एए अन्ने य बहू पायरियाणं गुणा अपरिमिजा। सीसाण गुणविससे केवि समासेण वुच्छामि // 36 // (3) सीसगुणे :____नीयावित्ति विणीयं धमत्तयं गुणवियाणयं सुयणं / पायरियमइ-वियाणिं सीसं कुसला पसंसति // 37 // सीयसह उराहसहं वायसहं खुह-पिवासअरइसहं / पुढवीविव सव्वसहं सीसं कुसला पसंसंति // 38 // लाभेसु अलाभेसु य अविवरणो होइ जस्स मुहवराणो / अपिच्छं संतुटुंसीसं कुसला पसंसंति // 31 // छविहविणय-विहिन्नू अन्मइयो सो हु वुच्चइ विण(गी)यो / इड्डीगारवरहियं सीसं कुसला पसंसति // 40 // दसविह-वेयावच्चमि उज्जुयं उज्ज(न)यं च सज्झाए। सव्वावस्सगजुत्तं सीसं कुसला पसंसति // 41 // पायरियवन्नवाई गणिसेविं कित्तिवद्धणं धीरं। धीधणिय-बद्धकन्छ सीसं कुसला पसंसति // 42 / / तूण सधमाणं सीसो होऊण ताव सिक्खाहि / सीसस्स हुँति सीसा न हुँति सीसा असीसस्स // 43 // वयणाई सुकडयाई पणयसिद्धाई विसहियन्वाई। सीसेणायरियाणं नीसेसं मग्गमाणेणं // 44 // जाइकुल-रुवजुब्बण-बलविरिय-समत्तसत्तसंजुत्तं / मिउसह-वाइमपिसुण-मसदमथद्धं श्रलोभं च // 45 // पडिपुराणपाणिपायं अणुलोमं निद्धवचियसरीरं / गंभीरतुगनासं उदारदिढेि विसालच्छं // 46 // जिणसासणमपुरत्तं गुरुजण-मुहपिच्छगं च धीरं च / सद्धागुण-पडिपुन्नं विकारविरयं विणयमूलं // 17 //

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