Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 141
________________ 130 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धः : अष्टमो विभाग: रिसी पसंसंति // 6 // सुबहुस्सुनो वि जो खलु अविणीयो मंदसद्धमंवेगो। नाराहेइ चरितं चरितभट्ठो भमइ जीवो // 64 // थेवेण वि संतुट्ठो सुएण जो विणयकरणसंजुत्तो। पंचमहव्वयजुत्तो गुत्तो पाराहो होइ // 65 // बहुयंपि सुयमहीयं किं काही विणयविप्पहीणस्स / अंधस्स जह पलित्ता दीवसय-सहस्सकोडी वि // 66 // विणयस्स गुणविसेसा एव मए वनिया समासेणं / नाणस्स गुणविसेसा श्रोहियहियया निसामेह // 67 // (5) नाणगुणे :न हु सक्का नाउं जे नाणं जिणदेसियं महाविसयं / ते धन्ना जे पुरिमा नाणी य चरित्तमंता य // 68 // सका सुयनाणायो उड्टुं च अहं च तिरियलोयं च / ससुरासुरमणुयं सगरुलभुयगं सगंधव्वं // 61 // जाणंति बंधमुक्खं जीवाजीवे य पुराणपावं च श्रासवसंवरनिजर तो किर नाणं चरणहेऊ // 70 // नायाणं दोसाणं विवजणा सेवणा गुणाणं च / धम्मस्स साहणाई दुनिवि किर नाणसिद्धाई // 71 // नाणेण विणा करणं करणेणं विणा न तारयं नाणं / भवसंसारसमुह नाणी करणट्ठियो तरइ // 72 // नाणी वि श्राट्टतो गुणेसु दोसे य ते अवजितो। दोसाणं च न मुच्चइ तेमि नवि ते गुणे लहइ // 73 / / अस्संजमेण बद्धं अन्नाणेण य भवेहि बहुएहिं / कम्ममलं सुहमसुहं करणेण दढो धुणइ नाणी // 74 // सत्थेण विणा जोहो जोहेण विणा य जारिसं सत्थं / नाणेण पिणा करणं करणेण विणा तहा नाणं // 75 // नादंसणस्स नाणं न विणा नाणस्स हुँति करण गुणा। श्रगुणस्स नत्थि मुक्खो नत्थि अमुक्ख(त)स्स निव्वाणं // 76 // जं नाणं तं करणं जं करणं पवयणस्स सो सारो। जो पवयणस्स सारो सो परमत्यत्ति नायबो॥७७ // परमत्थगहियसारा बंधं मुक्खं च ते वियाणंता / नाऊण बंध. मुरवकं खर्विति पोराणयं कम्मं // 78 // नाणेण होइ करणं करणं नाणेण फासियं होइ / दुराहं पि समायोगे होइ विसोही चरित्तरस // 71 // नाणं विणाणा दुन्निवि किर नाणं दोसाणं विवजावसंवरनिजर तो // जाणोते

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