Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ प्रकीर्णकानि / 1 श्रीचन्द्रध्यकप्रकीर्णकम् ] [ 133 सिझति // 112 // उक्कोसचरित्तो वि य पडेइ मिच्छत्तभावो कोइ / किं पुण सम्मबिट्टी सारागधम्ममि वट्टतो // 113 // अविरहिया जस्स मई पंचहि समिईहिं तीहिं गुत्तीहिं / न कुए इ रागद्दोसे तस्स चरित्तं हवइ सुद्धं // 114 // तम्हा तेसु पवत्तह कज्जेसु य उज्जमं पयत्तेण / सम्मत्तंमि चरित्ते नाणंमि य मा पमाएह // 115 // चरणस्त गुणविसेसा एए मइ वनिया समासेणं / मरणस्स गुणविसेसा श्रोहियहियया निसामेह // 116 // .. (7) मरणगुणे :जह अनियमियतुरए अयाणमाणो नरो समारूढो / इच्छेइ पराणीयं यइवकंतु जो अकय जोगो // 117 // सो पुरिसो सो तुरो पुव्वं अनियमिय-करणजोगेणं / ठूण पराणीयं भजति दोवि संगामे // 11 // एवमकारियजोगो पुरिसो मरणे उवट्ठिए संते / न भवइ परीसहसहो अंगेसु परीसहनिवाए // 116 // पुव्वं कारियजोगो सम.हिकामो य मरणकालंमि / भवई य परीसहमहो विसयसुहनिवारयो अप्पा / / 120 // पुब्बि कयपरिकम्मो पुरिलो मरणे उवट्ठिए संते / छिदइ परीसहचमू निच्छय-परसुप्पहारेण // 121 // बाहिति इंदियाई पुबमकारिप-पइत्तचारिस / अकयपरिकम्मकीवो मुज्झइ याराहणाकाले // 122 // श्रागमसंजुत्तस्स वि इंदियरसलोलुपं पइट्ठस्त / जइ वि मरणे समाही हविज न वि हुज बहुयाणं // 123 // श्रमत्तसुयो वि मुणो पुव्वं सुक्यपरिकम्म-परिहत्थो / संजममरण-पइराणं सुहमव्वहियो समाणेइ / / 124 ॥इंदियसुह-साउलयो घोरपरीसह-परवसविउत्तो / अकयपरिकम्मकीवो मुझइ धाराहणाकाले // 125 // न चएइ किंचि काउं पुवं सुकयपरिकम्मबलियस्स / खोहं परीसहचमू धिइबलविणिवारिया मरणे // 126 // पूवं कारियजोगो अनियाणो ईहिऊण मइकुसलो। सव्वत्थ-अपडिबद्धो सकजजोगं समाणेइ // 127 // उप्पोलिया सरासणगहियाउह-चावनिच्छय-मईयो / विधइ चंदगविज्झ ज्झायंतो अप्पणो सिक्खं
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