Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 138
________________ प्रकीर्णकानि - 1 श्रीचन्द्रवेध्यकप्रकीर्णकम् ) सीता // 14 // पव्वइयस्स- गिहिस्स वा विणयं चेव कुसला पसंसंति / न हु पावइ अविणीयो कित्ति च जसं च लोगम्मि // 15 // जाणंतावि य विणयं केइ कम्माणुभाव-दोसेण / निच्छति पउंजित्ता अभिभूया रागदोसेहिं // 16 // अभणंतस्त य करसवि पसरइ कित्ती जसं च लोगंमि / पुरिसस्स महिलियाए विणीयविणयस्स दंतस्स // १७॥दिति फलं विजायो पुरिसाणं भागधिजभरियाणं / न हु भागधिज-परिवजियस्स विजा फलं दिति // 18 // विज्जं परिभवमाणो पायरियाणं गुणे पणासंतो। रिसिघायगाण लोयं बच्चइ मिच्छत्तसंजुत्तो॥ 11 // न हु सुलहा पायरिया विजाणं दायगा समत्ताणं / उज्जुय अपरित्तता न हु सुलहा सिक्खगा सीसा // 20 // विणयस्त गुणविसेसा एव मए वनिया समासेणं / पायरियाणं च गुणे एगमणा मे निसामेह // 21 // ( 2 ) पायरियगुणे:वुन्छ यायरियगुणे अणेगगुण-सयसहस्सधारीणं / ववहारदेसगाणं सुयरयणसुसत्यवाहाणं // 22 // पुढवीविव सबसहं मेव अकंपिरं ठियं धम्मे। चंदुब्ब सोमलेसं तं पायरियं पसंसंति // 23 // अपरिस्साविं बालोयणारिहं हेउकारणविहिराणु / गंभीर दुद्धरिसं तं पायरियं पसंसंति // 24 // कालगणु देसगणु भावराणु अतुरियं असंभंतं / अणुवत्तयं अमायं तं पायरियं पसंसंति // 25 // लोइय वइय सामाइएसु सत्थेसु जरस वक्खेवो / ससमय-परसमयविऊ तं पायरियं पसंसंति // 26 // बारसहिवि यंगेहिं सामाइयमाइ-पुत्वनिबद्धे / लछटुं गहिय? तं पायरियं पसंसंति // 27 // पायरियसहस्साई लहइ य जीवे भवेहिं बहुएहिं / कम्मेसु य सिप्पेसु य अन्नेसु य धम्मचरणेसु // 28 // जे पुण जिणोवइट्टे निग्गंथे परयणंमि थायरिया / संसारमुक्खमग्गस्स देसगा ते हु थायरिया // 26 // जह दीवा दीवसयं पइप्पए सो उ दिप्पए दीवो / दीवसमा पायरिया अप्पं च परं च दीवंति // 30 // धन्ना श्रायरि

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