Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 135
________________ 124 } [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / अष्टमो विभागः आसन्नं से पयं परमं // 631 // 11 / दुग्गो भाकंतारे भममाणेहिं सुचिरं पणट्ठोहिं / दिट्ठो जिणोवदिट्ठो सुग्गइमग्गो कहवि लद्धो // 632 / / माणुस्त-देसकुल-कालजाइ-इंदियबलोवयाणं च / विनाणं सद्धा दंसणं च दुलहं सुसाहूणं // 633 // पत्तेसुवि एएसु मोहस्सुदएण दुलहो सुपहो / कुपहब हुयत्तणेण य विसयसुहाणं च लोभेणं // 634 // सो य पहो उवलद्धो जस्त जए बाहिरो जणो बहुयो / संपत्तिच्चिय न चिरं तम्हा न खमोपमायो भे॥ 635 // जह जह दढप्पइराणो समणो वेरग्गभावणं कुणइ / तह तह असुभं श्रायव-हयं व सीयं खयमुवेइ // 636 / एगहोरत्तेणवि दढपरिणामा अणुत्तरं जंति / कंडरियो पुंडरियो ग्रहरगई-उड्ढगमणेसु॥ 637 // 12 // बारसवि भावणायो एवं संखेवयो समत्तायो। भावेमाणो जीवो जायो समुवेइ वेरग्गं // 638 // भाविज भावणायो पालिज वयाई रयणमरिसाई। पडिपुगगा-पावखमणे अइरा सिद्धिपि पावहिसि // 631 // कत्थइ सुहं सुरसमं कत्थइ निरयोवमं हवइ दुक्खं / कथइ तिरियसरित्थं माणुमजाई बहुविचित्ता // 640 // दणवि अप्पसुहं माणुस्सं णेगदोस(सोग). संजुतं / सुट्ठवि हियमुबइ8 कज्जं न मुणेइ मूढजणो // 641 // जह नाम पट्टणगया संते मुल्लंमि मूदभावेणं / न लहंति नरा लाहं माणुसभावं तहा पत्ता // 642 // संपत्ते बलविरिए सम्भाव-परिवखणं अजाणता / न लहंति बोहिलाभ (नरा बोहिं) दुग्गइमग्गं च पावंति // 643 // अम्मापियरो भाया भजा पुत्ता सरीर अत्यो य / भवसागरंमि घोरे न हुँति ताणं च सरणं च // 644 // नवि माया नवि य पिया न पुनदारा न चेव बंधुजणो / नवि य धणं नवि धन्नं दुवखमुइन्नं उवसमेंति // 645 // जइया सयणिजगयो दुक्खत्तो सयणबंधु-परिहीणो / उव्वत्तइ परियत्तइ उरगो जह अग्गिमममि // 646 // श्रसुइ सरीरं रोगा जम्मण-सयसाहणं छुहा तराहा। उराहं-सीयं वायो पहाभिघाया यऽणेगविहा // 647 // सोगजरामरणाई परिस्समो दीणया य


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