Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 131
________________ 12. ] ... ( श्रीमदागमसुभासिन्धुः / अष्टमो विभाम: हायइ जीवो जइया सुसाणपरिविद्धं / भल्लु कि-कंक-वायससासु दोकिजए देहं // 565 // ता तं निजिणिऊणं देहं मुत्तूण वच्चए जीवो / सो जीवो अविणासी भणियो तेलुकदंसीहि // 566 // तं जइ ताव न मुच्चइ जीवो मरणस्स उब्वियंतोवि / तम्हा मज्झ न जुजइ दाऊण भयस्स अप्पाणं // 567 / / एवमणुचिंतयंता सुविहिय ! जरमरणभावियमईया / पावंति कयपयत्ता मरणसमाहिं महाभागा // 568 // एवं भावियचित्तो संथारवरंमि सुविहिय ! सयावि / भावेहि भावणाश्रो बारस जिणवयणदिट्ठायो॥५६॥ इह इत्तो चउ. रंगे चउत्थमग्गं(मंग) सुसाहुधम्मम्मि / वन्नेइ भावणायो बारसंगविऊ // 570 // समणेण सावएण य जायो निच्चपि भावणिजाजो। दढसंवेग-करीयो विसेसो उत्तमम्मि // 571 // पदमं अणिचभावं असरणयं एगयं च अन्नत्तं / संसार-मसुभयाविय विविहं लोगस्सहावं च // 572 // कम्मस्स पासवं संवरं च निजरणमुत्तमे य गुणे / जिणसासणम्मि बोहिं च दुलहं स्तिए मइमं // 573 // सव्वट्ठाणाई असासयाई इह चेव देवलोगे य / सुरासुरनराईणं रिद्धिविसेसा सुहाई वा // 574 // मायापिईहिं सहवडिएहि मित्तेहिं पुत्तदारेहिं / एगययो सहवासो पीई पणोऽवित्र अणिचो // 574 / / भवणेहिं व वणेहि य सयणासण-जाणवाहणाईहिं / संजोगोवि अणिचो तह परलोगेहिं सह तेहिं / 576 // बलवीरिय-रूवजोवण-सामग्गीसुभगया . वसोभा ।देहस्स य थारुगं असासयं जीवियं चेव ॥५७णा जम्मजरामरणभए ... अभिद दुए विविह वाहिसंतत्ते / लोगम्मि नत्थि सरणं जिणिंदवर-सासणं मुत्तुं // 578 // थाणेहि य हत्थीहि य पव्वयमित्तेहिं निचमित्तेहिं / सावरणपहरणेहि य बलवयमत्तेहिं जोहेहिं // 579 // महया भडचडगर-पहकरेण अवि चकवट्टिणा मच्चू / न य जियपुवो केणइ नीइवलेणावि लोगम्मि // 580 // विविहेहि मंगलेहि य विजामंतोसही-पयोगेहिं / नवि सका तारेउ मरणा णवि रुगणसोएहिं / / 581 // पुत्ता मित्ता य पिया सयणो बंधवजणो श्र

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