Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ प्रकीर्णकानि // 10 श्रीमरणसमाधिप्रकीर्णकम् / [ 115 सावएहि विविहेहिं / देहे विद्धस्संते ईसिपि अकप्पणारु(झ)मणा // 481 // पडिणीययाइ केसि चम्मसे खीलएहिं निहणित्ता / महुघय-मक्खियदेहं पिवीलियाणं तु दिजाहि // 482 // जेण विरागो जायइ तं तं सव्वायरेण करणिज्ज / सुब्बइ हु ससंवेगो इत्थ इलापुत्तदिटुंतो // 483 // समुइराणेसु य सुविहिय ! घोरेसु परीसहेसु सहणेणं / सो अत्थो सरणिज्जो जोऽधीयो उत्तरज्मयणे // 484 // उज्जेणि हत्थिमित्तो सस्थसमग्गो वणम्मि कट्टणं / पायहरो संवरण चिलगभिक्खा वण सुरेसु // 485 // तत्थेव य घणमित्तो चेलगमरणं नईइ तराहाए / निच्छराणेसुऽणज्जंत विटियविस्सारणं कासि // 486 // मुणिचंदेण विदिरणस्स रायगिहि परीसहो महाघोरो। जत्तो हरिवंसविहसणस्स वच्छं जिणिंदस्स // 487 // रायगिहनिग्गया खलु पडिमापडिवनगा मुणी चउरो। सीयविहूय कमेणं पहरे पहरे गया सिद्धिं // 488 // उसिणे तगरऽरहन्नग चंपा मसएसु सुमणभदरिसी। खमसमण अजरक्खिय अचेल्लय यत्ते अ उज्जेणी // 481 // अरईय जाइसूकरो मूयो भयो अ दुलहबोहीयो / कोसंबीए कहियो इत्थीए थूलभदरिसी // 460 // कुलइरम्मि य दत्तो चरियाइ परीसहे समक्खायो / सिट्ठिसुयतिगिच्छणणं अंगुलदीवो य वासम्मि // 411 // गयपुर कुरुदत्तसुयो निसी. हिया अडविदेस पडिमाए। गाविकुविएण दवो गयसुकुमालो जहा भगवं // 412 / / दो अणगारा विजाइयाइ कोसंबि सोमदत्ताई। पायोवगया णदिणेसिजाए सागरे छूटा // 413 // महुराइ महुरखमयो अकोसपरीसहे उ सविसेसो। बीयो रायगिहम्मि उ अज्जुणमालारदिट्ठतो // 414 // कुंभारकडे नगरे खंदगसीसाण जंतपीलणया। एवंविहे कहिजइ जह सहियं तस्स सीसेहिं // 45 // तह झाणनाणवु(जु)तं गीए संठि(पट्ठि)यस्स समुयाणं / तत्तो अलाभगंमि उ जह कोहं निजिणे कराहो // 416 // किसिपारासरटेंटो बीयं तु अलाभगे उदाहरणं / कराहबलभद्दमन्नं चइऊण
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