Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 4] [श्रीमागमसुधारिन् / अष्टमी विभाग गुणियं पुरिसों भोत्तूण भोयण कोई / तराहाछुहाविमुक्को अच्छिज जहा अमियतित्तों // 218 // इय सबकालतित्ता अउलं निव्वाणमुवगया सिद्धा सासयमव्वाबाहं चिट्ठति सुही सुहं पत्ता॥२१॥सिद्धत्ति यबुद्धत्तिय पारगयत्ति य परंपरगयत्ति / उम्मुक्ककम्मकवया अजरा अमरा असंगा य // 30 // वु(नि)च्छिन्नसबदुक्खा जाइजरामरण-बंधणविमुक्का / सासयमव्वाबाहं अणुहवंति सुहं सया कालं // 301 ॥सुरगणइड्डि-समग्गा सम्वद्धापिंडिया अणंतगुणा / नवि पावइ जिणइढि णंतेहिंवि वग्गवग्रहिं // 302 // भवणवइवाणमंतर-जोइसवासी विमाणगसी य। सब्बिड्डीपरियरिया अरहते वंदया हुति // 303 // भवणवइवाणमंतर-जोइसवासी विमाणवाणी य। इसिवालियमयमहिया करिति महिमं जिणवराणं // 30 // इसिवालियस्स भई सुरवरथयकारयस्स वीरस्स / जेहिं सया थुव्वंता सब्वे इंदा पवरकित्ती // 305 // इसिवा० तेसिं सुरासुरगुरू सिद्धा सिद्धिं उवणमंतु // 306 // भोमेजवणयराणं जोइसियाणं विमाणवासीणं / देवनिकायाणं (णंदउ) थवो समत्तो (सहस्सं) अपरिसेसो / 307 // देविंदस्थयपइराणयं सम्मत्तं // // इति श्री देवेन्द्रस्तवप्रकीर्णकम् // 9 // // 10 // अथ श्रीमरणसमाधिप्रकीर्णकम् // तिहुयणसरीरिवंदं मप्प(संघ)वयणरयणमंगलं नमिउं / समणस्स उत्तम? मरणविहीसंगहं वुच्छं // 1 // सुणह सुयसारनिहसं ससमयपरसमयवायनिम्मायं / सीसो समणगुणड्ड परिपुच्छइ वायगं कंचि // 2 // अभिजाइसत्तविक्कम-सुयसीलविमुत्ति-खंतिगुणकलियं / श्रायारविणयमद्दव-विजाचरमागरमुदारं // 3 // कित्तीगुणगम्भहरं जसखाणिं तवनिहिं सुयसमिद्धं / सीलगुणनाणदंसण-चरित्तरयणागरं धीरं // 4 // तिविहं तिकरणसुद्धं मयरहियं दुविहठाण पुणरत्तं (स्ट)। विणएण कमविसुद्धं चउस्सिरं बारसावत्तं // 5 // योण्यं अहाजायं एयं काऊण तस्स किडकम्मं / भत्तीइ भरियहियो
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