Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 106
________________ प्रकोणेकानि / 10 श्रीमरणसमाधिप्रकीर्णकम् ] गएसु सिद्धेसु // 143 // किं इत्तो लट्टयरं अच्छेरययं व सुंदरतरं वा ? / चंदमित्र सबलोगा बहुस्सुयमुहं पलोयंति // 144 // चंदाउ नीइ जुराहा बहुस्सुय-मुहायो नीइ जिणवयणं / जं सोऊण सुविहिया तरंति संसारकतारं // 145 // चउदस-पुव्वधराणं श्रोहिनाणीण केवलीणं च। लोगुत्तम-पुरिसाणं तेसिं नाणं अभिन्नाणं // 146 // नाणेण विणा करणं न होइ नाणंपि करणहीणं तु / नाणेण य करणेण य दोहिवि दुक्खक्खयं होइ // 147 // दढमूल-महाणंमिवि वरमेगोऽवि सुयसील-संपराणो / मा हु सुयसीलविगला काहिसि माणं पवयणम्मि // 148 // तम्हा सुयम्मि जोगो कायब्बो होइ अप्पमत्तेणं / जेणाप्पाण परंपि य दुक्खसमुदायो तारेइ // 141 // परमत्थम्मि सुदिट्ठ अविण?सु तवसंजमगुणेसु / लब्भइ गई विसुद्धा सरीरसारे विण?म्मि॥१५० // अविरहिया जस्स मई पंचहिं समिईहिं तिहिवि गुत्तीहि / न य कुणइ रागदोसे तस्स चरित्तं हवइ सुद्धं // 151 // उक्कोसचरित्तोऽवि य परिवडई मिच्छभावणं कुणइ / किं पुण सम्महिट्ठी सारागधम्ममि व?तो ? / // 152 // तम्हा घत्तह दोसुवि काउं जे उज्जमं पयत्तेणं / सम्मत्तम्मि चरित्ते करणम्मि य मा पमारह // 153 // जाव य सुई न नासइ जाव य जोगा न ते पराहीणा / सद्धा व जा न हायइ इंदियजोगा अपरिहीणा // 15 // जाव य खेमसुभिक्खं पायरिया जाव अस्थि निजवगा / इड्डीगारव-रहिया नाणचरण-दंसणंमि रया // 155 // ताव खमं काउं जे सरीरनिवखेवणं विउपसत्थं / समय-पडागाहरणं सुविहिय-इ8 नियमजुत्तं // 156 // हंदि अणिचा सद्धा सुई य जोगा य इंदियाइं च / तम्हा एयं नाउं विहरह तवसंजमुजुत्ता // 157 // ताएयं नाऊणं अोवायं नाणदंसणचरिते। धीरपुरिसाणुचिन्नं करिति सोहिं सुयसमिद्धा // 158 // अभितर-बाहिरियं अह ते काऊण अप्पणो सोहिं / तिविहेण तिविहकरणं तिविहे काले वियडभावा // .151 // परिणाम-जोगसुद्धा उवहिविवेगं च गणविसग्गे य / श्रजाइय-उव

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