Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ प्रकीर्णकानि // 4 श्रीभक्तपरिज्ञाप्रकीर्णकम् ] [ 23 तह करेइ // 82 // उवसमइ किराहसप्पो जह मंतेण विहिणा पउत्तेणं / तह हिययकिराहसप्पो सुट्ठवउत्तेण नाणेणं // 83 // जह मक्कडो खणमवि मज्मत्थो अच्छिउं न सक्केइ। तह खणमवि मज्झत्थो विसएहिं विणा न होइ मणो // 84 // तम्हा स उठ्ठिउमणो मणमकडयो जिणोवएसेणं / काउं सुत्तनिबद्धो रामेअब्बो सुहमाणे // 85 // सूई जहा ससुत्ता न नस्सई कयवरंमि पडियावि / जीवोऽवि तहससुत्तो न नस्सइ गोवि संसारे // 86 // खंडसिलोगेहि जवो जइ ता मरणाउ रक्खियो रापा / पत्तो असुलामन्नं किं पुण जिणउत्तसुत्तेणं ? / / 87 // अहवा चिलाइपुत्तो पत्तो नाणं तहाऽमरत्तं च / उवसमविवेगसंवर-पयसुमरणमित्त. सुयनाणो // 88 // परिहर छजीववहं सम्मं मणवयणकायजोगेहिं / जीवविसेसं नाउं जावजीवं पयत्तेणं // 81 // जह ते न पियं दुक्खं जाणित्र एमेव सव्वजीवाणं / सव्वायरमुवउत्तो अत्तोवम्मेण कुणसु दयं // 10 // तुंगं न मंदरायो भागासायो विसालयं नस्थि / जह तह जयंमि जाणसु धम्ममहिंसासमं नत्थि // 11 // सवेवि य संबंधा पत्ता जीवेण सबजीवहिं। तो मारतो जीवे मारइ संबंधिनो सवे // 12 // जीववहो अप्पवहो जीवदया अपणो दया होइ / ता सबजीवहिंसा परिचत्ता अत्तकामेहिं॥१३॥जावइबाई दुक्खाई हुँति चउगइगयस्स जीयस्म / सव्वाइं ताई हिंसाफलाई निउणं विश्राणाहि // 14 // जंकिंचि सुहमुबारं पहुत्तणं पयइसुदरं जं च / पारुग्गं सोहग्गं तं तमहिंसाफलं सव्वं // 15 // पाणोऽवि पाडिहेरं पत्तो छूढोऽवि सुसुमारदहे / एगेणवि एगदिणजिएणहिंसावयगुणेणं // 16 // परिहर असञ्चवयणं सव्वंपि चउब्धिहं पयत्तेणं / संजमवंतावि जयो भासादोसेण लिप्पंति // 17 // हासेण व कोहेण व लोहेण भएण वावि तमसच्चं / मा भणसु भणसु सच्चं जीवहिपत्थं पसत्थमिणं // 18 // विस्ससणिज्जो माया व होइ पुज्जो गुरुब्ध लोअस्स / सयणुव्व सचवाई पुरिसो सव्वस्स होइ टुक्खाई 4 // किन सवं // गणा
Page Navigation
1 ... 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152