Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 56
________________ प्रकीर्णकानि :: 5 भीतंदुलवैचारिकप्रकीर्णकम् ] [45 पागडियपासुलीयं विगरालं सुकसंधिसंघायं / पडियं निव्वेयणयं सरीरमेयारिसं जाण // 115 // वच्चायो असुइतरे नवहिं सोएहिं परिगलंतेहिं / श्रामगमल्लगरूवे निव्वेयं वचह सरीरे // 116 // दो हत्था दो पाया सीसं उच्चंपियं कबंधम्मि / कलिमलकोट्ठागारं परिवहसि दुयादुयं वच्चं // 117 // तं च किर स्ववंतं वच्चंतं रायमग्गमोइन्नं / परगंधेहिं सुगंधय मन्नतो अप्पणा गंधं // 118 // पाडलचंपयमल्लिय-अगुरुयचंदण-तुरुकवामीसं / गं, समोयरंतं मन्नतो अप्पणो गंधं // 111 // मुहवाससुरहिगंधं वातसुहं अगुरुगंधियं अंगं / केसा गहाणसुगंधा कयरो ते अप्पणो गंधो ? // 120 // अच्छिमलो कन्नमलो खेलो सिंघाणो श्र यो श्र। असुई मुत्तपुरीसो एलो ते अप्पयो गंधो // 121 // जागोवि अ इमायो इत्थयात्रो अणेगेहिं कइवरसहस्सेहिं विविहपासपडिबद्धेहिं कामरागमोहेहिं वनियात्रो तारोऽवि एरिसायो, तंजहा-पगइविसमायो (पियरुसणाश्रो कतिपयइ-चडुप्पस्नातो श्रवकहमिय-भासियविलासवीसंभभूयायो अविणयवातुलीउ मोहमहावत्तिणीयो विसमायो) पियवयणवल्लरीयो कइयवपेमगिरितडीयो अवराहसहस्सघरिणीयो 4, पभवो सोगस्स विणासो बलस्स सूणा पुरिसाणं नासो लजाए संकरो अविणयस्स निलयो निगडीण 10 खाणी वइरस्स सरीरं सोगस्स भेयो मजायाणं यासयो रागस्स निलो दुचरियाणं मा(म)ईए सम्मोहो खलणा नाणस्स चलणं सीलस्स विग्यो धम्मस्स अरी साहूण 20 दूमणं पायारपत्ताणं श्रारामो कम्मरयस्स फलिहो मुक्खमग्गस्स भवणं दरिदस्स 24, अवि घाई तायो ग्रामीविसो विव कुवियाथो मत्तगयो विव मयणपरवसायो वग्घी विव दुहिश्रयायो तणच्छन्नकूबो विव अप्पगासहिश्रयायो मायाकारो विव उवयारसयाबंधणपयोत्तीयो आयरिसबिंबंपिव दुग्गिज्मसम्भावायो 30 फुफया विव अंतोदहनसीलायो नग्गयमग्गो विव अणवट्ठियचित्तायो अंतोदुट्ठवणो विव कुहियहिययायो कराहसप्पो विव अवि

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