Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 54
________________ प्रकीर्णकानिः / श्रीदुलनैचारिफप्रकीर्णकम् / [43 मुत्तोसहायतणं सव्वश्रो दुरंतं गुज्झोरुजाणु-जंघापाय-संघायसंधियं श्रसुइ कुणिमगंधि, एवं चिंतिजमाणं बीभत्थदरिसणिज्ज अधुवं अनिययं असासयं सडणपडणविद्धंसणधम्मं पच्छा व पुरा व अवस्सवइयव्वं निच्छयत्रो सुट्ठजाण एवं श्राइनिहणं, एरिसं सव्वमणुयाण देह, एस परमत्थयो सभावो // सू० 17 // सुक्कम्मि सोणियम्मि य संभूत्रो जणणिकुच्छिमझमि ! तं चेव अमिज्झरसं नवमासे घुटिउं संतो // 5 // जोणीमुहनिप्फिडियो थणगच्छीरेण वडियो जायो / पगईअमिज्झमइयो कह देहो धोइउं सको ? // 86 // हा ! असुइसमुप्पन्ना(नया) निग्गया य जेण चेव दारेणं / सत्ता(तया)मोहपसत्ता(तया) रमंति तत्थेव असुइदारम्मि // 87 // किह ताव घरकुडीरी कइसहस्सेहिं अपरितंतेहिं / वनिजइ असुइबिलं जघणंति सकजमूढेहिं ? // 88 // रागेण न जाणंति य वराया कलमलस्स निद्धमणं / ताणं परिणदंती फुल्लं नीलुप्पलवणं व // 86 // कित्तिमित्तं वराणे ? अमिझमइयम्मि वच्चसंघाए। रागो हु न कायबो विरागमूले सरीरम्मि // 10 // किमिकुलसयसंकिराणे असुइमचुक्खे असासयमसारे / सेयमलपुवडंमी निव्वेयं वच्चह सरीरे // 11 // दंतमलकराणगृहग-सिंघाणमले य लालमलबहुले / एयारिसे बीभत्थे दुगुणिज्जंमि को रागो ? // 12 // को सडणपडणविकिरिण-विद्धंसण-चयणमरणधम्मम्मि / देहम्मि अहीलासो ? कुहियकढिणकट्ठभूयम्मि // 13 // कागसुणगाण भक्खे किमिकुलभत्ते य वाहिभत्ते य / देहम्मि मच्चु(मच्छ)भत्ते सुसाणभत्तम्मि को रागो ? // 14 // असुईअमिझपुन्नं कुणिमकलेवरकुडि परिसवंति / श्रागंतुय संठवियं नवच्छिदमसासयं जाण (जाणे) // 15 // पिच्छसि मुहं सतिलयं सविसेसं रायएण अहरेणं / सकडक्खं सवियारं तरलच्छि जोवणत्थीए // 16 // पिच्छसि बाहिरमट्ठन पिच्छसी उज्झरं कलिमलस्स / मोहेण नचयंतो सीसघडीकंजियं पियसि॥१७॥ सीसघडीनिग्गालं जं निळूहसि दुगु.

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