Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 84
________________ प्रकीर्णकानि : 9 श्रीदेवेन्द्रस्तवप्रकीर्णकम् ] सुवच्छे विसाले य॥ 71 // हासे हासरईविश्र सेए अतहा भवे महासेए। पयए पययावईविय नेयव्वा पाणुपुवीए // 72 // उड्डमहे तिरियमिय व सहिं श्रोविंति वंतरा देवा / भवणा पुणराह रयणप्पभाइ उवरिल्लए कंडे // 73 // इक्किमि य जुयले नियमा भवणा वरा असंखिजा। संखिजविस्थडा पुण नवरं एतत्थ नाणत्तं // 74 // जंबुद्दीवसमा खलु उक्कोसेणं भवंति भवणवरा / खुद्दा खित्तसमावि विदेहसमया य मज्झिमया // 75 // जहं देवा वंतरिया वरतरुणीगीयवाइयरवेणं / निच्चसुहिया पमुइया गयंपि कालं न याणंति // 76 // काले सुख्ख पुराणे भीमे तह किन्नरे य सप्पुरिसे / अइकाए गीयरई अट्ठव य हुँति दाहिणो // 77 // मणिकणगरयणथूभिय-जंबूणयवेइयाई भवणाई / एएसिं दाहिणश्रो सेसाणं उत्तरे पासे / / 78 // दस वाससहस्साई ठिई जहन्ना उ वंतरसुराणं / पलियोवमं तु इक्कं ठिई उ उक्कोसिया तेसिं // 79 // एसा वंतरियाणं भवणठिई वनिया समासेणं / सुण जोइसालयाणं आवासविहिं सुरवगणं // 8 // चंदा सूरा तारागणा य नक्खत्त गहगण समत्ता / पंचविहा जोइसिया ठिई वियारी य ते गणिया // 81 // अद्धकविट्ठगसंठाण-संठिया फालियामया रम्मा / जोइसियाण विमाणा तिरियंलोए असंखिजा // 82 // धरणियलाउ समायो सत्तहिं नउएहिं जोयणसएहिं / हिट्ठिलो होइ तलो सूरो पुण अहिं सएहि // 83 // अट्ठसए ग्रासीए चंदो तह चेव होइ उवरितले / एगं दसु. त्तरसयं बाहल्लं जोइसस्स भवे // 84 // एगट्ठिभाय काऊण जोत्रणं तस्स भागछप्पराणं / चंदपरिमंडलं खलु अड्याला होइ सूरस्स // 85 // जहिं देवा जोइसिया वरतरुणीगीयवाइयरवेणं / निच्चसुहिया पमुइया गयंपि कालं नं याणंति // 86 // छप्पन्नं खलु भागा विच्छिन्नं चंदमंडलं होइ / अडवीसं च कलायो बाहल्लं तस्स बोद्धव्वं // 87 // अडयालीसं भागा विच्छन्नं सूरमंडलं होइ चउवीसं च कलायो बाहल्लं तस्स बोद्धव्वं / / 8 / / भागीयाइयरवेणं पाला होइ सूरस्स जोधणं तस्स

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