Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 57
________________ भीमदागमसुधासिन्धुः अष्टमो विमागः स्ससणिजाश्रो संथारो विव छन्नमायाश्रो संज्झन्भरागो विव मुहुत्तरागायो समुद्दवीचीश्रो विव चलस्सभावायो मच्छो विव दुपरियत्तणसीलायो वानरो विव चलचित्तायो मच्चू विव निविसेसायो 40 कालो विव निरणुकंपात्रो वरुणो विव पासहत्थायो सलिलमिव निन्नगामिणीयो किवणो विव उत्ताणहत्थाश्रो नरो विव उत्तासणिजायो खरो इव दुस्सीलायो दुट्ठरसो विव दुद्दमायो बालो इव मुहुत्तहिययायो अंधकारमिव दुप्पवेसायो विसवल्ली विव अणल्लियणिज्जायो 50 दुट्ठगाहा इव वावी अणवगाहायो गणभट्ठो विव इस्सरो अप्पसंसणिजायो किंपागफलमिव मुहमहुरायो रित्तमुट्ठी विव बाललोभणिजायो मंसपेसीगहणमिव सोवद्दवायो जलियचुडली विव अमुच्चमाण्डहणसीलायो अरिट्ठमिव दुल्लंवणिजायो कूडकरिसावणो विव . कालविसंवायणसीलायो चंडसीलो विव दुक्खरक्खियायो अइविसायो 60 दुगुछियायो दुरुवचरायो अगंभीरायो अविस्ससणिजायो अणवत्थियायो दुक्खरक्खियायो दुक्खपालियायो अरइकरायो ककसानो दढवेरायो 70 रूवसोहग्गमउम्मत्तानो भुयगगइकुडिलहिययात्रो कंतारगइट्टाणभूयायो कुलसयणमित्तभेयणकारियायो परदोसपगासियायो कयग्यायो बलसोहियायो एगंतहरणकोलायो चंचलायो जाइयभंडोवगारोविव (जचभंडोवरागो इव) मुहरागविरागायो 80 अवि याइं तायो (अणं)तरं भंगसयं अरज्जुश्रो पासो अवारुया अडवी अणालस्सनिलयो अणइवखा वेयरणी अनामियो वाही अवियोगो विप्पलावो अरू उवसग्गो रइवंतो चित्तविन्भमो सव्वंगयो दाहो 10 अणभप्पसूया(अणब्भा) वजासणी असलिलप्पवाहो समु. हरयो 13 // श्रवि याई तासिं इत्थियाणं अणेगाणि नामनिरुत्ताणि पुरिसे कामरागप्पडिबद्धे नाणाविहेहिं उवायसयसहस्सेहिं वहबंधणमाणयंति पुरि. .साणं नो अन्नो एरिसो अरी अथिति नारीयो, तंजहा-नारीसमान नराणं अरीयो नारीयो, नाणाविहेहिं कम्मेहिं सिप्पाइएहिं पुरिसे मोहंतित्ति महि.

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