Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ प्रकीर्णकानि / 8 श्रीपाणिविद्याप्रकीर्णकम् ] तु // 16 // श्राइचपिटिश्रो से विलंबिराहूहयं जहिं गहणं / मझेण गहो जस्स उ गच्छइ तं होइ गहभिन्नं // 17 // संज्झागयम्मि कलहो होइ विवाश्रो विलंबिनक्खत्ते / विड्डरे परविजयो श्राइचगए अनिव्वाणि // 18 // जं सग्गहम्मि कीरइ नक्खत्ते तत्थ निग्गहो होइ। राहुहयम्मि य मरणं गहभिन्ने सोणिउग्गाले // 11 // संझागयं राहुगयं श्राइचगयं च दुब्बलं रिक्खं / संझाइचउविमुक्कं गहमुक्कं चेव बलियाई // 20 // पुस्सो हत्थो अभीई य, अस्सिणी भरणी तहा / एएसु य रिक्खेसु, पायोवगमणं करे॥ 21 // सवणेण धणिट्ठाइ पुणव्वसू नवि करिज निक्खमणं / सयभिसयपूसथंभे(हत्थे) विजारंभे पवित्तिज्जा // 22 // मिगसिर श्रद्दा पुस्सोपुव्वाई मूलमस्सेसा। हन्थो चित्ता य तहा दस बुड्डिकराई नाणस्स (तिन्नि धणिट्ठा पुणव्वसू रोहिणी / पुस्सो य) // 23 // पुणव्वसूणा पुस्सेण, सवणेण धणिया। एएहिं चउरिक्खेहिं, लोयकम्माणि कारए // 24 // कित्तियाहिं विसाहाहिं, मचाहिं भरणीहि य। एएहिं चउरिक्खेहि, लोयकम्माणि वजए // 25 // तिहिं उत्तराहिं रोहिणीहिं कुजा उ सेहनिक्खमणं / सेहोरट्ठावणं कुन्जा, अणुना, गणिवायए // 26 // गणसंगहणं कुजा, गणहरं चेव ठावए / उग्गहं वसहिं ठाणं, थावराणि पवत्तए // 27 // पुरसो हत्थो अभिई, अस्सिणी य तहेव य / चत्तारि विखप्पकारीणी, कज्जारंभेसु सोहणा // 28 // विजाणं धारणं कुज्जा, बंभजोगे य साहए / सज्झायं च अणुन्नं च, उद्देसे य समुदिसे // 26 // अणुराहा रेवई चेव, चित्ता मिगसिरे तहा। मिऊनियाणि चत्तारि, मिउकम्मं तेसु कारए // 30 // भिक्खाचरणमत्ताणं, कुजा गहणधारणं संगहोवग्गहं चेव, बालवुड्डाण कारए // 31 / / पदा अस्सेस जिट्टा य, मूलो चेव चउत्थयो। गुरुणो कारए पडिमं, तवोकम्मं च कारए // 32 // दिव्वमाणुसतेरिच्छे, उवसग्गाहियासए / गुरू सुचरणकरणो, उग्गहोवग्गहं करे // 33 // महा भरणि पुत्राणि, तिन्नि
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