Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 79
________________ जीमंदागमसुधासिन्धुः / अष्टमी बिभागा दारं 8 / न निमित्ता विवज्जंति, न मिच्छा रिसिभासियं दुट्टेिणं निमित्तेणं, श्रादेसो उ विणस्सइ // 61 // सुदि?ण निमित्तेणं, श्रादेसो न विणस्सइ / जा य उप्पाइया भासा, जं च जंपंति बालयो॥ 70 // जंवित्थीयो पभासंति, नत्थि तस्स वइक्कमो / तजाएण य तजायं, तन्निभेण य तन्निभं // 71 // तारूवेण य तास्वं, सरिसं सरिसेण निहिसे / थीपुरिसनिमित्तेस, सेहनिक्खमणं करे // 72 // नपुंसकनिमित्तेसु, सव्वकजाणि वजए। वामिस्सेसु निमित्तेसु, सब्बारंभे विवजए // 73 // निमित्ते कित्तिमे नस्थि, निमित्ते भावि सुज्झए / जेण सिद्धा वियाणंति, निमित्तुप्पायलवखणं // 74 // निमितेसु पसत्थेसु, दढेसु बलिएसु य / सेहनिवखमणं कुजा, वउवट्ठावणाणि य // 75 // गणसंगहणं कुज्जा, गणहरे इत्थ वा वए। सुयक्खंधाणुनायो अणुन्ना गणिवायए // 76 // निमित्तेसुऽपसत्थेस, सिट्टिलेसुबलेसु य / सव्वकजाणि वजिजा, अप्पसाहरणं करे // 77 // पसत्थेसु निमित्तेस, पसत्थागि सयाऽऽरभे / अप्पसत्थनिमित्तेसु, सव्वकजाणि वजए // 78 // दिवसायो तिही बलियो तिहीउ बलियं तु सुब्बई रिक्खं / नवखत्ता करणमाहंसु करणाउ गहदिणा बलिणणे // 79 // गहदिणाउ मुहुत्ता, मुहुत्ता सउणो बली। सउणायो बलवं लग्गं, तो निमित्तं पहाणं तु // 80 // विलग्गायो निमित्तायो, निमित्तबलमुत्तमं / न तं संविजए लोए, निमित्ता जं बलं भवे // 1 // एसो बलाबलविही समासयो कित्तियो सुविहिएहिं / अणुयोगनाग-गेज्मो नायव्वो अप्पमत्तेहिं // 82 // गणिविजापइराणयं सम्मत्तं / // इति श्रीगणिविद्याप्रकीर्णकम् // 8 // // 6 // अथ श्रीदेवेन्द्रस्तवप्रकीर्णकम् // ..: अमरनरवंदिए वंदिऊण उसभाइजिणवरिंदे / वीरवरअपच्छिमते तेलुकगुरू पणमिऊणं // 1 // कोई पढमपाउसंमि सावयो समयनिच्छयविहिराणू / वन्नेइ थयमुयारं जिणमाणे (जाय माणो) बद्धमाणम्मि // 2 //

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