Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // अष्टमो विभाग: सुपुरिसाणं नयरंमि कुंभकारे कडगंमि निवेसिश्रा तइत्रा // 58 // पंचमया एगणा वायंमि पराजिएण रुटेणं / जंतंमि पावमइणा छुन्ना छन्नेण कम्मेण // 56 // निम्ममनिरहंकारा निश्रयसरीरेवि अप्पडीबद्धा / तेवि तह छुजमाणा पडिवन्ना उत्तमं अट्ठ॥ 60 // दंडुत्ति विस्सुश्रजसो पडिमादसधारो ठियो पडिमं / जउणावके नयरे सरेहिं विद्धो सयंगीयो॥ 61 // जिणवयणनिच्छिमई नियसरीरेऽवि अपडीबद्धो / सोऽवि तह विज्झमाणो पडिवन्नो० // 62 // श्रासी सुकोसलरिसी चाउम्मासस्स पारणादिवसे। श्रोरुहमाणो श्र नगा खइयो मायाइ बग्घीए // 63 // धीधणियबद्धकच्छो पञ्चक्खाणम्मि सुट्ठ उवउत्तो। सोतहवि खन्जमाणो पडिघन्नो० // 64 // उज्जेणीनयरीए अवंतिनामेण विस्सुयो श्रासी। पायोवगमनिवन्नो सुसाणमज्झम्मि एगते // 65 // तिन्नि रयणीइ खइयो भल्लुकी रुट्ठिया विकड्डती / सोवि तह खजमाणो पडिवन्नो०॥६६॥ जल्लमलपंकधारी श्राहारो सीलसंजमगुणाणं। अजीरणो अ गीयो कत्तिय अजो सुरवरं(ण)मि // 67 // रोहीडगंमि नयरे थाहारं फासुग्रं गवसंतो। कोवेण खत्तिएण य भिन्नो सत्तिप्पहारेणं // 68 // एगंतमणावाए विच्छिन्ने थंडिले चड्य देहं / सो वि तह भिन्नदेहो पडिवन्नो० // 61 // पाडलिपुत्तंमि पुरे चंदयगुत्तस्स चेव श्रासीथ। नामेण धम्मसीहो चंदसिरिं सो पयहिऊणं // 70 // कुल्लउरंमि पुरवरे श्रह सो अब्भुट्टियो ठियो धम्मे / कासी गिद्धपट्ट पञ्चक्खाणं विगयसोगो // 71 // यह सोवि चत्ततेहो तिरिसहस्सेहिं खजमाणो श्र। सोऽवि तह० // 72 // पाडलिपुत्तंमि पुरे चाणको नाम विस्सुयो श्रासी / सवारंभनिश्रत्तो इंगिणिमरणं अह निवन्नो // 73 // अणुलोमपूषणाए श्रह से सत्तू जो डहइ देहं / सो तहवि डज्ममाणो पडिवन्नो० // 74 // गुट्ठयपाअोवगो सुबंधुणा गोमये पलिवियंमि / डझतो चाणको पडि० // 75 // काइंदीनयरीए राया नामेण अमयघोसुत्ति / तो सो सुअस्स रज्जं दाऊणं इह चरे धम्मं // 76 //
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