Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 50
________________ प्रकीर्णकार्नि 5 श्रीतंदुलपारिकाकीर्णकम् ] [1. असीई च तंदुलसयसहस्साणि हवंतित्तिमक्खायं (4608000000) // 55 // तं एवं श्रद्धत्तेवीसं तंदुलवाहे भुजंतो श्रद्धछ? मुग्गकुभे भुजइ, अद्धछट्ट मुग्गकुम्भे भुजंतो चउवीसं जेहाढगसयाई भुंजइ, चउग्रीसं णेहाढगसयाई भुजंतो छत्तीसं लवणपलसहस्साई भुजइ, छत्तीसं लवणपलसहस्साई भुजंतो छप्पडसाडगसयाइं नियंसेइ, दोमासियणं परिघट्टएणं मासिएण वा परियट्टणं बारस पडसाडगसयाइं नियंसेइ / एवामेव पाउसो ! वाससयाउयस्स सव्वं गणियं तुलियं मवियं नेहलवणभोयणच्छायणंपि, एवं गणियप्पमाणं दुविहं भगियं महरिसीहिं, जस्सऽस्थि तस्स गणिजइ, जस्त नत्थि तस्स कि गणिजइ ? // सू० 16 // ववहारगणिय-दिटुं सुहुमं निच्छ यगयं मुणेयवं / जइ एयं नवि एवं विसमा गणणा मुणेयया // 56 // कालो परमनिरुद्रो अविभजो तं तु जाण समयं तु / समया य असंखिजा हवंति उस्सासनिरसासे // 57 // हट्ठस्स अणवगलस्स, निरुवकिट्ठस्स जंतुणो। एगे ऊसासनीसासे, एस पाणुत्ति वुन्नइ // 58 // सत्त पाणि से थोवे, सत्त थोवाणि से लवे / लवाणं सत्तहत्तरीए, एस मुहुत्ते वियाहिए // 56 // एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवइया ऊसासा वियाहिया ?, गोयमा !-तिन्नि सहस्सा सत्त य सयाई तेवत्तरिं च ऊसासा / एस मुहुत्तो भणियो सव्वेहिं अणंतनाणीहिं // 60 // दो नालिया मुहुत्तो सद्धिं पुण नालिया अहोरत्तो। पनरस अहोरत्ता पक्खो पक्खा दुवे मासो // 61 // दाडिमपुष्फागारा लोहमई नालिया उ कायव्वा / तीसे तलम्मि छिद्द छिद्दपमाणं पुणो वोच्छं // 62 // छन्नउई पुच्छवाला तिवासजायाएँ गोतिहाणीए। अस्संवलिया उज्जय नायव्वं नालियाबि // 6 // ग्रहवा उ पुच्छवाला दुवासजायाऍ गयकरेणूए / दो वाला उ अभग्गा नायव्वं नालियाछिद्द॥ 64 // अहवा सुवराणमासा चत्तारि सुवट्टिया घणा सूई। चउरंगुलप्पमाणानायव्वं नालियाछिद्द // 65 // उदगरस नालि

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