Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 51
________________ 10] - श्रीमदागमसुधासिन्धारा अष्टमो विभाग श्राए भवंति दो श्राढयाउ परिमाणं / उदगं च भाणियव्वं जारिसयं तं पुणो वुन्छ // 66 // उदगं खलु नायव्वं कायव्वं दूमपट्टपरिपूयं / मेहोदगं पसन्न सारइयं वा गिरिनईए // 67 // बारस मासा संवच्छरो उ पक्खा य ते उ चउनीसं / तिन्नेव य सट्ठिसया हवंति राइंदित्राणं च // 68 // एगं च सयसहस्सं तेरस चेव य भवे सहरसाई। एगं च सयं नउयं हवंति राइदिऊसासा // 61 // तित्तीस सयसहस्सा पंचाणऊई भवे सहस्साई। सत्त य सया अण्णा हवंति मासेण ऊसासा / 70 // चत्तारि य कोडीयो सत्तेव य हुँति सयमहस्ताई। अडयालीससहस्सा चत्तारि सया य वरिसेणं / / 71 // चत्तारि य कोडिसया सत्त य कोडीउ हुँति अवरायो। अडयाल सयसहस्सा चत्तालीसं सहस्सा य // 72 / / वाससयाउस्सेए(नराणं)उस्मासा इत्तिया मुणेयवा। पिच्छह अाउस्स खयं ग्रहोनिसं झिज्ममाणस्स // 73 // राइदिएण तीसं तु मुहुत्ता नव सया उ मासेणं / हायंति पमत्ताणं न य णं अबुहा वियाणंति / / 74 // तिन्नि सहस्से सगले छच्च सए उडुवरो हरइ थाउं / हेमंते गिम्हासु य वासासु य होइ नायव्वं // 75 // वाससयं परमाउं इत्तो पन्नास हरइ निदाए / इत्तो वीसइ हायई बालते वुड्डभावे य // 76 // सीउराहपंथगमणे खुहा पिवासा भयं च सोगे य / नाणाविहा य रोगा हवंति तीसाइ(तीसाइ हरइ) पबद्धे // 77 // एवं पंचासीई नट्ठा पनरसमेव जीवंति / जे हुँति वाससइया न य सुलहा वाससयजीवी // 78 / / एवं निस्सारे माणुलत्तणे जीविए अहिवडते। न करेह चरणधम्म पच्छा पच्छाणुतप्पिह हा / / 76 // घुटुम्मि सयं मोहे जिणेहिं वरधम्मतित्थमग्गस्स। अत्ताणं च न याणह इह जाया कम्मभूमीए // 80 // नइवेगसमं चवलं जीवियं जोवणं च कुसुमसमं / सुक्खं च जमनियत्तं तिन्निवि तुरमाणभुजाई // 81 // एवं खु जरामरणं परिखिवइ वग्गुरा व मियजूहं / न य णं पिच्छह पत्तं संमूढा मोहजालेणं // 82 // श्राउसो ! जंपि इमं सरीरं

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